उतरौला (बलरामपुर)जामा मस्जिद के मौलाना मुफ्ती मोहम्मद जमील अहमद खां ने सभी साहिबे निसाब (शरई मालदार) मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि हमारे देश में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है मुल्क के कई हिस्सों में इसका कहर जारी है।
कई सूबों में संपूर्ण लाकडाउन लगा दिया गया है देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है लाखों लोग इस बीमारी से मौत के मुंह में समा रहे हैं। बेशुमार लोग अस्पतालों में ज़िन्दगी की जंग लड़ रहे हैं लोगों पर दोहरी मार है जो बीमार है उनको इलाज नहीं मिल पा रहा, वहीं करोड़ों लोगों पर कर्फ्यू की वजह से रोजगार की मार पड़ रही है। रमजान में अल्ल्लाह हर नेकी के बदले सत्तर गुना सवाब बढ़ा देता है। इसलिए साहिबे निसाब अपनी जकात की रकम से ऐसे लोगों की मदद कर दें जो बीमार हैं जिनको दवा की सख्त जरूरत है। रमजान में जो लोग रोजे रख रहे हैं और जिनके पास खाने पीने की इंतजाम (व्यवस्था) न हो उनको राशन का इंतजाम करा दें। उन्होंने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में हर साहिबे निसाब मुसलमान पर जकात फर्ज (अनिवार्य) है आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है उसका 2-5प्रतिशत हिस्सा किसी गरीब या जरूरत मंद को दिया जाता है जिसे जकात कहते हैं यानी किसी के पास तमाम खर्च करने के बाद 100रुपये बचते हैं तो उसमें से 2 रुपए50 पैसे किसी गरीब को देना जरूरी है ।जिन मुसलमान के पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी है या इतनी कीमत का कोई चल अचल संपत्ति है तो उस माल की कुल कीमत पर 2-5प्रतिशत जकात फर्ज है।
मालदार मुसलमान के माल पर गरीबों का हक है उनकी जिम्मेदारी बनती है कि यह लोग गरीब,बीमार, मजदूर,यतीम (अनाथ)बेवा, विधवा की जकात और फितरे की रकम से मदद करें।
असगर अली
उतरौला
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