महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 128वीं जयंती पर शुक्रवार को आयोजित वेबिनार में उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों पर चर्चा हुई। इसका आयोजन महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केंद्र ने किया।

बेंगलुरू की डॉ. इंदु झुनझुनवाला ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन का यायावरी जीवन सभी के लिए अनेक अर्थों में प्रेरणा बन गया। बंबई से प्रवीण कुमार बोरकर कहा कि राहुल का वैचारिक तर्कवाद और यथार्थवाद आज भी प्रासंगिक है। कुरुक्षेत्र के डॉ. ऋषिपाल ने कहा कि राहुल के व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण पक्ष है भारत को आजाद कराने में उनकी सक्रिय सहभागिता। मंजरी पांडेय ने कहा कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन स्वत: सृजित रचनाकार थे। डॉ. राहुल राज ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन एक संस्कृति हैं। अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ. मुक्ता ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन भाषाविद, इतिहासविद्, संस्कृत के प्रकांड विद्वान, क्रांतिदर्शी, कथाकार आदि अनेक रूपों में उल्लेखनीय हैं। संस्था सचिव डॉ. संगीता श्रीवास्तव ने स्वागत और बीएल प्रजापति ने आभार व्यक्त किया।

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