रविवार को राप्ती नदी में नहाने गये महुआधनी गांव के तीनों बच्चों का पता मंगलवार को भी नहीं चल सका। नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को अभी तक यह विश्वास नहीं हो पा रहा है कि जिस नदी की धारा में छोटे-छोटे बच्चे बरसात में भी तैर कर नहा लेते थे वही नदी कम पानी में तीन होनहारों का जीवन निगल सकती है। लापता बच्चों के परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर किसी भी समय बच्चों के वापसी की बाट जोह रहे थे। रविवार की रात से ही अरबाज, इरफान व मुस्तफा रजा के परिवार का कोई सदस्य चैन से नहीं रह पाया।
हर घड़ी नदी की ओर से आने वाले व्यक्ति पर उनकी निगाह टिकी रही। अरबाज अपने आठ भाई बहनों में सातवें नंबर पर था। उसकी मां बानो नदी की ओर जाने वाले हर आदमी से अपने बेटे के बारे में पूछ रही थी। इरफान के पिता शनिवार को ही परदेश से घर आए थे। तीन भाई बहनों वाले परिवार के सबसे बड़े बेटे इरफान से अभी पूरी तरह बैठकर बातचीत भी नहीं कर पाए थे। मां शकीला का रो-रो कर बुरा हाल है। पिता घटना की रात से ही नदी तट पर बैठकर एसडीआरएफ व स्थानीय गोताखोरों की हर गतिविधि पर नजर गड़ाए हुए है। नदी से डुबकी लगाकर निकलने वाले हर तैराक पर जिज्ञासा भरी नजर से देखते हैं कि शायद उनके बच्चे के संबंध में कोई सूचना मिलने वाली हो। पांच भाई बहनों वाले मुस्तफा रजा के पिता कौसर अली विक्षिप्त हो गये हैं। बेटे के गम में वह लोगों के बजाय अपने बच्चों से पूछते हैं कि बाबू कब आएगा। बाबू ने कुछ खाया होगा कि नहीं। नदी पर लगने वाली ग्रामीणों की भीड़ भी तीन बच्चों के साथ हुई घटना से विह्वल है। बच्चों के शवों की बरामदगी न होने से तीनों लापता बच्चों के परिजन व उनके परिचित बेचैन हैं। वहीं पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।ग्रामीण व परिजन प्रशासन के अभियान से संतुष्ट हैं लेकिन शवों के न मिलने से थोड़ा विचलित भी हैं।
एसडीएम डॉ. नागेंद्र नाथ यादव का कहना है कि लापता बच्चों की तलाश जारी है।
असगर अली
उतरौला
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know