अहरौरा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अहरौरा के गोला पांडेय जी निवासी 101 वर्षीय नक्की धागर की शनिवार की सुबह मौत हो गई। सूचना मिलते ही क्षेत्र में माहौल गमगीन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नक्की धागर के स्वतंत्रता संग्राम अभियान पर नजर डाली जाय तो 16 वर्ष की अवस्था में ही आजादी की जंग मे कूद पड़े। पांडेय जी का गोला निवासी सेनानी नक्की धागर ने अहरौरा क्षेत्र में आजादी के लड़ाई की अलख जगाई।
13 अगस्त 1942 को अंग्रेजों पर हमला करने व सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने के आरोप में उनको गिरफ्तार किया गया था। छह माह बाद जेल से छूटने पर नक्की फिर से सक्रिय हुए और आजादी की लड़ाई में जुट गए। स्वतंत्रता संग्राम के दिनों को याद करते हुए किस्सा सुनाया था कि तब से अब में बहुत फर्क आ गया है। अब न तो सिद्धांत रहे और न ही स्वच्छ राजनीति। सन् 1922 में जन्मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नक्की धागर की 101 वर्ष की उम्र में निधन से अहरौरा में शोक की लहर देखी गई। नक्की धागर 16 वर्ष की उम्र के हुए तो उनसे अंग्रेजों की ज्यादती और अत्याचार बर्दाश्त नहीं हुआ। नगर में एक दिन 150 लोगों ने एक साथ सत्याग्रह करना शुरू किया सत्याग्रहियों को जब अंग्रेज पकड़ कर ले जाने लगे तो उन्होंने पत्थर का टुकड़ा उठाकर उनपर हमला कर दिया। जिसमें तीन अंग्रेज सिपाही घायल हो गए। वहां से सभी अंग्रेज भाग खड़े हुए। कुछ समय बाद दीवान के साथ अंग्रेजी फौज आई और फायरिंग शुरू कर दी। इस गोली कांड में चार लोग शहीद हो गए। 13 अगस्त 1942 को फिर से सत्याग्रह हुआ। अंग्रेज सिपाहियों ने घेराबंदी करते हुए एक साथ 75 सेनानियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। छह माह 17 दिन बाद 2 मार्च 1943 में जेल से नक्की धागर को छोड़ा गया। जेल से छूटने पर आजादी के लिए जोश कम नहीं होने दिया और देश को आजाद कराने में अपनी भूमिका का निर्वाह करते रहे।
13 अगस्त 1942 को अंग्रेजों पर हमला करने व सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने के आरोप में उनको गिरफ्तार किया गया था। छह माह बाद जेल से छूटने पर नक्की फिर से सक्रिय हुए और आजादी की लड़ाई में जुट गए। स्वतंत्रता संग्राम के दिनों को याद करते हुए किस्सा सुनाया था कि तब से अब में बहुत फर्क आ गया है। अब न तो सिद्धांत रहे और न ही स्वच्छ राजनीति। सन् 1922 में जन्मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नक्की धागर की 101 वर्ष की उम्र में निधन से अहरौरा में शोक की लहर देखी गई। नक्की धागर 16 वर्ष की उम्र के हुए तो उनसे अंग्रेजों की ज्यादती और अत्याचार बर्दाश्त नहीं हुआ। नगर में एक दिन 150 लोगों ने एक साथ सत्याग्रह करना शुरू किया सत्याग्रहियों को जब अंग्रेज पकड़ कर ले जाने लगे तो उन्होंने पत्थर का टुकड़ा उठाकर उनपर हमला कर दिया। जिसमें तीन अंग्रेज सिपाही घायल हो गए। वहां से सभी अंग्रेज भाग खड़े हुए। कुछ समय बाद दीवान के साथ अंग्रेजी फौज आई और फायरिंग शुरू कर दी। इस गोली कांड में चार लोग शहीद हो गए। 13 अगस्त 1942 को फिर से सत्याग्रह हुआ। अंग्रेज सिपाहियों ने घेराबंदी करते हुए एक साथ 75 सेनानियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। छह माह 17 दिन बाद 2 मार्च 1943 में जेल से नक्की धागर को छोड़ा गया। जेल से छूटने पर आजादी के लिए जोश कम नहीं होने दिया और देश को आजाद कराने में अपनी भूमिका का निर्वाह करते रहे।
राजकीय सम्मान के साथ आवास पर गार्ड ऑफ ऑनर देकर एसडीएम ने किया विदा
स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा ने ली अंतिम सांस
- राजकीय सम्मान के साथ आवास पर गार्ड ऑफ ऑनर देकर एसडीएम ने किया विदा
संवाद न्यूज एजेंसी
अहरौरा। वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नक्की धागर ने 101 वर्ष की उम्र में शनिवार को अंतिम सांस ली। सूचना मिलने पर देर शाम मौके पर एसडीएम चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह तथा क्षेत्राधिकारी ऑपरेशन पहुंचे। पुलिस बल की मौजूदगी में उनको गार्ड आफ आनर दिया गया। शाम लगभग छह बजे राजकीय सम्मान के बाद उनकी शवयात्रा निकाली गई।
घर के बाहर देर शाम लगभग एक घंटे तक उनके शव को अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। जहां श्रद्धांजलि देने वालों का ताता लगा रहा। देर शाम निकली शव यात्रा में नगर क्षेत्र के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। परिजनों के अनुसार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे पालिका अध्यक्ष गुलाब मौर्य ने कहा कि यह नगर क्षेत्र के लिए अपूर्णनीय क्षति है। आजादी की लड़ाई में संघर्ष करने वाले इस वीर सपूत को क्षेत्र की जनता तथा लोग सदैव याद रखेंगे। श्रद्धांजलि के दौरान मौजूद एसडीएम चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह तथा क्षेत्राधिकारी ऑपरेशन अजय कुमार राय ने राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव शरीर के समक्ष गार्ड आफ आनर देकर अंतिम सम्मान से विदा किया। श्रद्धांजलि देने वालों में थानाध्यक्ष अजीत श्रीवास्तव, चौकी प्रभारी कुंवर मनोज सिंह, लेखपाल विनोद यादव, अमरेश सिंह, सुरेश सिंह, सभासद आनन्द कुमार, ओमप्रकाश केसरी, संतोष गुप्ता सहित अन्य उपस्थित रहे
स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा ने ली अंतिम सांस
- राजकीय सम्मान के साथ आवास पर गार्ड ऑफ ऑनर देकर एसडीएम ने किया विदा
संवाद न्यूज एजेंसी
अहरौरा। वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नक्की धागर ने 101 वर्ष की उम्र में शनिवार को अंतिम सांस ली। सूचना मिलने पर देर शाम मौके पर एसडीएम चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह तथा क्षेत्राधिकारी ऑपरेशन पहुंचे। पुलिस बल की मौजूदगी में उनको गार्ड आफ आनर दिया गया। शाम लगभग छह बजे राजकीय सम्मान के बाद उनकी शवयात्रा निकाली गई।
घर के बाहर देर शाम लगभग एक घंटे तक उनके शव को अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। जहां श्रद्धांजलि देने वालों का ताता लगा रहा। देर शाम निकली शव यात्रा में नगर क्षेत्र के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। परिजनों के अनुसार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे पालिका अध्यक्ष गुलाब मौर्य ने कहा कि यह नगर क्षेत्र के लिए अपूर्णनीय क्षति है। आजादी की लड़ाई में संघर्ष करने वाले इस वीर सपूत को क्षेत्र की जनता तथा लोग सदैव याद रखेंगे। श्रद्धांजलि के दौरान मौजूद एसडीएम चुनार सुरेंद्र बहादुर सिंह तथा क्षेत्राधिकारी ऑपरेशन अजय कुमार राय ने राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव शरीर के समक्ष गार्ड आफ आनर देकर अंतिम सम्मान से विदा किया। श्रद्धांजलि देने वालों में थानाध्यक्ष अजीत श्रीवास्तव, चौकी प्रभारी कुंवर मनोज सिंह, लेखपाल विनोद यादव, अमरेश सिंह, सुरेश सिंह, सभासद आनन्द कुमार, ओमप्रकाश केसरी, संतोष गुप्ता सहित अन्य उपस्थित रहे
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