कोरोना की भयावह स्थिति हरिश्चंद्र घाट के महाश्मशान पर बुधवार को दिखाई दी। यहां करीब 300 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। लकड़ी से ही 280 अधिक संस्कार होने के कारण दूर तक चिता ही दिखाई दे रही थी। यही नहीं जगह न होने से शवों को लेकर पहुंचे परिजनों को पांच से सात घंटे तक इंतजार करना पड़ा। चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल रहा।

कोरोना से मृत लोगों का अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर ही किया जा रहा है। यहां सीएनजी से भी शवदाह की सुविधा है। वाराणसी के अलावा अन्य जनपदों के लोग भी शव लेकर दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। इसका कारण सीएनजी से संस्कार में कम खर्च तो है ही वहीं वाहनों की घाट तक सुगम पहुंच भी है। बुधवार को सीएनजी शवदाह गृह के दोनों चैंबर खराब हो गए। इससे स्थिति भयावह हो गई। लोग लकड़ियों से संस्कार करने पर विवश हो गए। इसके कारण घाट पर दूर तक चिताएं ही सजी रहीं। वह भी एक-दूसरे के करीब। इसके अलावा कई लोग शवों को लेकर इंतजार करते रहे। चौधरी समाज के लोगों से अपने संबंधियों के संस्कार के लिए अनुनय-विनय करते रहे। नोडल अधिकारी अजय राम ने बताया कि लगातार अंतिम संस्कार के कारण सीएनजी शवदाह गृह के दोनों चैंबर गर्म होने के कारण बंद हो गये हैं। कुछ तकनीकी खराबी आई है, जिसे ठीक कराया जा रहा है। गुरुवार सुबह तक इसे ठीक कराया जा सकेगा।

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