अंबेडकर नगर जिले मे
रमाबाई राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अकबरपुर अंबेडकर नगर में नारी सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन के साथ वासन्तिक नवरात्रि से चैत्र नवरात्रि तक चलने वाले मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान दौर में मानसिक तनाव एवं उसका समाधान विषय पर डा सुधा के संयोजन में ई-संगोष्ठी का आयोजन ।आपको बता दे कि आज दिनांक 7 अप्रैल 2021को किया गया ।जिसमें अतिथि वक्ता के रूप में जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के डॉ चंद्रशेखर ने अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मानसिक अवसाद क्यों और कैसे व्यक्ति को प्रभावित करता है, वर्तमान समय में महामारी, परीक्षा का तनाव, बेरोजगारी आदि इसके लिए सर्वाधिक उत्तरदायीहै। जीवन में तनाव से मुक्त होने और हमारी उर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए, प्रकृति ने एक अन्तर्निहित व्यवस्था बनाई है, जो है निद्रा। किसी हद तक, निद्रा तुम्हारी थकान मिटाती है। लेकिन प्रायः शरीर प्रणाली में तनाव रह जाता है।उस प्रकार के तनावों को काबू में रखने के लिए प्राणायाम और ध्यान के तरीके हैं। ये तनाव और थकान से मुक्ति देते हैं, क्षमता बढ़ाते हैं, तुम्हारे तंत्रिका तंत्र और मन को मज़बूत बनाते हैं। ध्यान केन्द्रीकरण नहीं है। ये एक गहरा विश्राम है और जीवन को एक अधिक विशाल दृष्टि से देखना है, जिसके ३ स्वर्णिम नियम हैं - मुझे कुछ नहीं चाहिए, मैं कुछ नहीं करता हूँ और मैं कुछ नहीं हूँ।।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो शेफाली सिंह ने बताया कि तनाव के बगैर जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। एक हद तक मनोवैज्ञानिक तनाव हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा होता है, जो सामान्य व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक साबित हो सकता है। हालांकि यदि ये तनाव अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाएं तब मनोचिकित्सा की आवश्यकता पड़ सकती है, अन्यथा ये आपको मनोवैज्ञानिक रूप से बीमार बना सकते हैं और आप में मनोव्यथा उत्पन्न कर सकते हैं। सामान्यतः असमान्य मनोविज्ञान पर तनाव के महत्व का अच्छा प्रमाण पाया गया है, यद्यपि इससे पैदा होने वाले विशेष जोखिम और सुरक्षात्मक प्रणालियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। नकारात्मक या तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं से कई प्रकार के मानसिक व्यवधान पैदा होते हैं, जिनमें मूड तथा चिंता से जुड़े व्यवधान शामिल हैं। यौन शोषण, शारीरिक दुर्व्यवहार, भावनात्मक दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा, तथा डराने-धमकाने समेत बचपन और वयस्क उम्र में हुए दुर्व्यवहार को मानसिक व्यवधान के कारण माने जाते हैं, जो एक जटिल सामाजिक, पारिवारिक, मनोवैज्ञानिक तथा जैववैज्ञानिक कारकों के जरिए पैदा होते। मुख्य खतरा ऐसे अनुभवों के लंबे समय तक जमा होने से पैदा होता है, हालांकि कभी-कभी किसी एक बड़े आघात से भी मनोविकृति उत्पन्न हो जाती है, जैसे- PTSD। ऐसे अनुभवों के प्रति लचीलेपन में अंतर देखा जाता है और व्यक्ति पर किन्हीं अनुभवों के प्रति कोई असर नहीं पड़ता, पर कुछ अनुभव उनके लिए संवेदनशील साबित होते हैं। लचीलेपन में भिन्नता से जुड़े लक्षणों में शामिल हैं- जेनेटिक संवेदनशीलता, स्वभावगत लक्षण, प्रज्ञान समूह, उबरने के पैटर्न तथा अन्य अनुभव। मानसिक अवसाद हमें एकाकी जिंदगी जीने को मजबूर करता है इसीलिए इससे उबरने की कोशिश हमें करनी चाहिए और अधिक से अधिक सकारात्मक एवं रचनात्मक जीवन शैली अपनाते हुए अपने जीवन में खानपान, विचारों एवं क्रियाकलापों में सन्तुलन रखना चाहिए तभी हम इस से मुक्त हो सकते हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं छात्राएं मौजूद रहे।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know