अधिवक्ता एके श्रीवास्तव को तीन दिन से बुखार आ रहा था। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर कोरोना की जांच कराई। परिवार के सातों सदस्यों की एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आई। दो दिन बाद आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी निगेटिव मिली। तकलीफ बढ़ने पर जब उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने दावा किया कि वह कोरोना की चपेट में आ गए हैं। पहले सीटी स्कैन और फिर प्राइवेट लैब ने कोरोना की पुष्टि कर दी
इसी तरह झूंसी के रहने वाले संतोष कुमार ने बुखार आने पर एंटीजन और आरटीपीसीआर की जांच कराई। दोनों ही जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन बुखार और खांसी में आराम नहीं मिलने पर निजी डॉक्टर ने दोबारा प्राइवेट लैब से जांच कराई। जिसमें संतोष और उनकी पत्नी दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
यह हाल सिर्फ इन मरीजों का नहीं है बल्कि इनके जैसे दर्जनों मरीज संक्रमण के शिकार होने के बाद इलाज के लिए परेशान हैं। मुश्किल यह है कि कोरोना की पुष्टि नहीं होने पर कुछ दवाएं दी जा सकती है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर डॉक्टर दोबारा जांच करा रहे हैं। दु:खद यह है कि इस तरह की रिपोर्ट में आ रही भिन्नता के कारण कोरोना संक्रमण का शिकार हुआ व्यक्ति परेशान हो रहा है। सही समय पर इलाज ना शुरू होने से संक्रमण बढ़ जाता है और सामान्य मरीज की हालत भी गंभीर हो जा रही है।
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