NCR News:दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने आखिरकार दुर्लभ बीमारियों पर बहुप्रतीक्षित नीति नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिसीज-2021 जारी कर दी। नीति में कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए एकमुश्त 20 लाख रुपए की सहायता देने का प्रावधान भी रखा गया और इस सहायता को पाने की पात्रता के लिए बीपीएल श्रेणी का होने की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है। ड्राफ्ट में यह राशि 15 लाख रुपए ही थी और इसका लाभ केवल बीपीएल श्रेणी में आने वाले मरीजों को ही मिल सकता था।लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि महंगे इलाज वाली दुर्लभ मरीजों को इस नीति से भारी निराशा हाथ लगी है क्योंकि नीति में गौसर डिसीज, हर्लर सिंड्रोम, हंटर सिंड्रोम, पोम्प डिसीज, फैब्री डिसीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी जैसी गंभीर दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए धन जुटाकर इलाज कराने का प्रावधान रखा गया है।नीति में दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियां बनाई गई हैं। पहली श्रेणी में उन दुर्लभ बीमारियों को रखा गया है जिनका एक बार स्टेम सेल या ऑर्गन (लीवर या किडनी) ट्रांसप्लांटेशन से इलाज हो सकता है। दूसरी श्रेणी में उन बीमारियों को रखा गया है जिनका इलाज अपेक्षाकृत कम लागत और जीवनभर या लंबी अवधि तक चलता है। तीसरी श्रेणी उन बीमारियों की है, जिनका पक्का इलाज उपलब्ध है लेकिन महंगा, लंबे समय तक चलने वाला है।नीति में बताया गया है कि दुनियाभर में करीब साढ़े सात हजार से अधिक आनुवांशिक दुर्लभ बीमारियों की पहचान की गई है, जिनमें से भारत में बहुत कम बीमारियां मिलती हैं। यह बात भी गौर करने योग्य है कि दुनियाभर में पहचानी गई दुर्लभ बीमारियों में से केवल 5 फीसदी बीमारियों का ही इलाज उपलब्ध है, वह भी बेहद महंगा। नीति में आयातित दवा पर वित्त मंत्रालय से कस्टम ड्यूटी में छूट देने की सिफारिश भी की गई है।

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