प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं बहुत विनम्रता के साथ 'सेरावीक वैश्विक ऊर्जा एवं पर्यावरण नेतृत्व' अवार्ड स्वीकार करता हूं। मैं इस पुरस्कार को अपनी महान मातृभूमि और देशवासियों को समर्पित करता हूं। मैं इस पुरस्कार को देश की उस गौरवशाली परंपरा को समर्पित करता हूं जिसने पर्यावरण की देखभाल के लिए दुनिया को रास्ता दिखाया है। यह पुरस्कार पर्यावरण नेतृत्व को मान्यता देता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब पर्यावरण की देखभाल की बात आती है तो भारत के लोग दुनिया में सबसे आगे नजर आते हैं। सदियों से ऐसा होता आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) सबसे महान पर्यावरण चैंपियन में से एक थे। यदि मानवता ने उनके बताए रास्ते का अनुसरण किया होता तो आज हम कई समस्याओं का सामना नहीं कर रहे होते। मैं आप सभी से पोरबंदर में महात्मा के घर आने का आग्रह करूंगा। उनके घर के बगल में आपको जल संरक्षण के व्यावहारिक सबक देखने को मिलेंगे जैसे कि 200 साल पहले निर्मित भूमिगत पानी के टैंक! जलवायु परिवर्तन और प्राकृति आपदाएं आपस में जुड़ी हुई हैं और इनसे लड़ने के दो तरीके हैं...
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने का पहला तरीका है- नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों को लागू किया जाना। इनके अपने महत्व हैं। उदाहरण के लिए - भारत 2030 तक प्राकृतिक गैस के अपने हिस्से को छह से 15 फीसद तक बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। इसके तहत LNG को ईंधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। हमने ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन भी शुरू किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने का दूसरा तरीका- अपने व्यवहार बदलाव लाना है। इन चुनौतियों से लड़ने का यह सबसे शक्तिशाली तरीका है! आइए हम खुद को बदलें तभी दुनिया जीने के लिए एक बेहतर जगह होगी। पीएम मोदी ने कहा कि व्यवहार परिवर्तन की भावना भारत की पारंपरिक आदतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है जो हमें करुणा के साथ उपभोग करना सिखाती है। मुझे अपने किसानों पर गर्व है जो लगातार सिंचाई के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य में सुधार और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के बारे में भारत में लोगों की जागरूकता बढ़ रही है। स्वस्थ और जैविक भोजन की मांग बढ़ रही है। हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में देश के 27 शहरों और शहरों में मेट्रो नेटवर्क पर काम कर रहे हैं। पहली मार्च 2021 तक भारत में लगभग 37 मिलियन एलईडी बल्ब का उपयोग किया जा रहा था। इससे ऊर्जा की बचत हुई है। यही नहीं इसके इस्तेमाल से हर साल 38 मिलियन टन CO2 का उत्सर्जन कम हुआ है। पिछले सात वर्षों में भारत का वन क्षेत्र काफी बढ़ गया है। ये सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन के संकेत हैं।
मालूम हो कि साल 2016 में सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण लीडरशीप पुरस्कार की शुरुआत हुई थी। वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में प्रतिबद्ध नेतृत्व के लिए यह अवार्ड दिया जाता है। डॉक्टर डेनिएल येरगिन ने सन 1983 में सेरावीक की स्थापना की थी। इसकी स्थापना के बाद से हर साल मार्च महीने में हृयूस्टन में सेरावीक सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। इसकी गिनती दुनिया के अग्रणी ऊर्जा मंचों में होती है।
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