टिकैतनगर (बाराबंकी)। नौ महीने तक कोख में पालने के बाद बच्ची को जन्म दिया लेकिन न जाने क्या मजबूरी रही कि उसे नहर की पटरी पर छोड़ दिया। बच्ची की रोने की आवाज सुनकर लोगों की भारी भीड़ मौके पर जमा हो गई। गांव की एक महिला ने उस बच्ची के पालन-पोषण का जिम्मा ले लिया।
रविवार की सुबह थाना टिकैतनगर क्षेत्र के ग्राम सराय बरई गांव के बाहर माइनर नहर की पटरी के पास एक पेड़ के नीचे कंबल में लिपटी लावारिस पड़ी बच्ची पर ग्रामीणों की निगाह तब गई जब वह रोने लगी। पहले तो लोगों ने समझा कि किसी खेत में काम कर रहे ग्रामीण की बच्ची होगी लेकिन जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो ग्रामीण समझ गए कि इसे कोई फेंक गया है।
रविवार की सुबह थाना टिकैतनगर क्षेत्र के ग्राम सराय बरई गांव के बाहर माइनर नहर की पटरी के पास एक पेड़ के नीचे कंबल में लिपटी लावारिस पड़ी बच्ची पर ग्रामीणों की निगाह तब गई जब वह रोने लगी। पहले तो लोगों ने समझा कि किसी खेत में काम कर रहे ग्रामीण की बच्ची होगी लेकिन जब काफी देर तक कोई नहीं आया तो ग्रामीण समझ गए कि इसे कोई फेंक गया है।
लावारिस बच्ची मिलने की जानकारी होते ही भीड़ जुट गई। गांव के मोहनलाल की पत्नी को नवजात होने की जानकारी मिली। मन में बच्ची को अपनाने की इच्छा जगी। आसपास के लोगों की सलाह पर बच्ची को ग्रामीणों ने जानकी को सौंप दिया। मासूम लाडली को पाने वाली महिला की आंखों में खुशी और बच्ची के प्रति प्यार देखकर ऐसा लग रहा था कि संसार की सारी खुशियां उसे मिल गई हों।
उसकी एक झलक पाने के लिए ग्रामीणों का हुजूम उसके घर पर उमड़ पड़ा। गोरे रंग की उस बच्ची को त्यागने की जिसने भी सुनी, वही उस मां को कोसने से नहीं चूका जिसकी ममता मर चुकी है। (संवाद)
उसकी एक झलक पाने के लिए ग्रामीणों का हुजूम उसके घर पर उमड़ पड़ा। गोरे रंग की उस बच्ची को त्यागने की जिसने भी सुनी, वही उस मां को कोसने से नहीं चूका जिसकी ममता मर चुकी है। (संवाद)
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