आगामी त्रीस्तरीय पंचायत चुनाव व होली त्यौहार तथा शबेरात त्योहार के दृष्टिगत कोतवाली प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार दुबे की अध्यक्षता में ग्राम पंचायत नरौरा भरापुर, गीलोली,तीर्रे मनोरमा, परना बगुलहा,धरमेइ आदि विभिन्न स्थानों पर गांव के लोगों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक प्रसिद्ध त्योहार है इस त्योहार को हर धर्म हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आदि सभी धर्मों के लोग मनाते हैं इस त्यौहार को त्यौहार की तरह मनाए एवं एक दूसरे से भाईचारे का बर्ताव करते हुए केवल गुलाल रंगों का ही प्रयोग करें क्योंकि इस त्यौहार की मान्यता रंग एवं गुलाल,अबिरो से है न की नशीले पदार्थों से इसलिए इस त्यौहार को त्यौहार की तरह मनाए एवं मिलजुल कर एक दूसरे के साथ मनाएं तथा दूसरों को भी दिशा निर्देश दें कि वह इस त्यौहार को सावधानीपूर्वक एवं कानून का पालन करते हुए मनाएं, उन्होंने यह भी कहा कि होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है।[1] रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।[2] पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।
रिपोर्ट- सूरज कुमार शुक्ला गोंडा

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