यूँ जुदा हो गए
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कैसी यह मुझसे ख़ता हो गयी
जो तुम मुझसे यूँ जुदा हो गए
साथ चलते कही हम भी दूर तक ,
मीत मन के क्यों खफा हो गये !
प्रेम ही जहान है , प्रेम ईमान है,
गौर से देखिये प्रेम अरमान है ,
तुम जो आए ख्यालो में मेरे
आज अरमाँ मेरे जवां हो गये !
गीत है जिन्दगी , प्रीत है जिन्दगी ,
जब तक साँस है मीत है जिन्दगी,
तुम जो रूठे सपनो में कभी
साँस भी मेरी बेवफा हो गयी !
दर्द दिल से मिला,प्यार का गुल खिला ,
और संगम हुआ सिलसिला ये चला ,
यह मिलन ही सजा हो गया ,
प्रिय मेरा जो मुझसे खफ़ा हो गया!
आँख इन्कार है , आँख इक़रार है ,
जब पलक झुक गयी आँख इजहार है,
जब से देखा है तुमको दूर से
ये नयन अब जबाँ हो गये !
जख्म ऐसा मिला , प्यार में दिल जला ,
साथी बनकर किसी ने जिगर को छला ,
साथ मिलता ,तुम्हारा भी हमको कभी,
पास रहकर के तू क्यों जुदा हो गया!
प्रियंका द्विवेदी
मंझनपुर कौशाम्बी
स्वरचित
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