ग्वालियर 
मध्यप्रदेश में आपका स्वागत है,यहां सरकार ने अंतत:धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020  क़ानून बनाकर एक बड़ा उपहार दिया है. ये क़ानून दरअसल आपको धार्मिक स्वतंत्रता देगा या नहीं ये तो आने वाले दिन बताएँगे किन्तु इस क़ानून के वजूद में आने के बाद आप जिहादी न होते हुए भी जिहादी बन जायेंगे .आपका जिहाद उन ढाई आखरों के खिलाफ होगा जिन्हें कबीरदास ने ' प्रेम ' कहा था .इस प्रेम को जातियों में बाँधने के इस जिहाद को आप प्रणाम कर सकते हैं .
धर्म के लिए जिहाद के बाद प्रेम के जरिये जिहाद को 'लव जिहाद 'का नाम जिसने भी दिया उसके हाथ चूम लेना चाहिए.क्योंकि वास्तव में धर्म के लिए जिहाद असली जिहाद नहीं है. प्रेम के लिए किया जाने वाला जिहाद ही असली जिहाद है .प्रेम के लिए दुनिया में अब तक कितने युद्ध हुए इसका हिसाब लगाने बैठा जाये तो भोर हो जाएगी .हाँ तो बात चल रही थी मध्यप्रदेश के नए क़ानून की .इस क़ानून का असल मकसद 'लव जिहाद' को रोकना है .
मध्यप्रदेश में क़ानून बनाने वाले या तो बाद भोले हैं या उन्हें अतीत और वर्तमान का ज्ञान नहीं है.क़ानून बनाने वाली भाजपा सरकार के भीतर और बाहर ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनके  परिवार हिन्दू-मुसलमान एकता का प्रतीक हैं .भाजपा के कितने पदाधिकारियों के नाम यहां आपको गिना दूँ जिनकी बीबियाँ या तो विधर्मी हैं या उनके पति विधर्मी हैं. विधर्मी से प्रेम करना किसी भी धर्म में पाप नहीं बताया गया है ,लेकिन भाजपा सरकार इसे पाप मानती है ,क्योंकि उसे लगता है कि विधर्मी से किया गया प्यार या विवाह जिहाद की शक्ल ले सकता है और इससे सत्ता प्रतिष्ठान को खतरा पैदा हो सकता है .
जाहिर है कि भाजपा को प्रेम के खिलाफ जिहाद की फ़िक्र नहीं है बल्कि कुर्सी के प्रति जिहाद से भाजपा डरती है .मजे की बात ये है कि डर  कभी क़ानून से दूर नहीं होते .देश में आज पहले से कितने क़ानून मौजूद हैं ,लेकिन क्या अपराधी इन कानूनों से डरते हैं ? क्या हत्या बलात्कार ,चोरी,डकैती,अपहरण,आर्थिक अपराध या धर्म परिवर्तन कानूनों के कारण रुक गए ? क्या क़ानून राम राज की स्थापना कर पाए ?जबाब मिलेगा नहीं ,क्योंकि क़ानून केवल निबल के खिलाफ काम आते हैं. कानून समरथ को कभी दोषी मानता ही नहीं.गोस्वामी तुलसीदास जी ने तो बताया की समर्थ व्यक्ति सूर्य,आग और गंगा की तरह होता है .
धार्मिक स्वतंत्रता क़ानून भी इसी तरह उन विधर्मियों के खिलाफ हथियार के तौर पर किया जाएगा जो कमजोर हैं..धर्म के नाम पर जिहाद करने वाले तो अपना काम हर सूरत में करते हैं फिर चाहे वे इस धर्म के हों या उस धर्म के. जिहाद के लिए किसी क़ानून की जरूरत न पहले थी और न अब है. वनवासियों के पांव पखारकर या उन्हें आर्थिक मदद देकर धर्म परिवर्तन करने वालों को आज तक कोई नहीं रोक पाया.मिशनरी अपना काम कर रहे हैं और वनवासी परिषदें अपना और मजे की बात ये है कि दोनों ही अपना काम प्रेम से ही कर रहे हैं. बन्दूक की दम पर धर्म परिवर्तन कहीं हुआ हो तो कृपया बता दीजिये .
मध्यप्रदेश में सरकार इस कानून को इतना जरूरी मानती है कि उसने इस पर बहस करना जरूरी नहीं समझा.बहस की औपचारिकता जरूर निभाई .सरकार जानती है कि  ऐसे कानूनों पर बहस होगी तो सरकार की बखिया उधेड़ दी जाएगी .नए क़ानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने संबंधी प्रयास किए जाने पर प्रभावित व्यक्ति स्वयं, उसके माता-पिता अथवा रक्त संबंधी इसके विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे. यह अपराध संज्ञेय, गैर जमानती तथा सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होगा. उप पुलिस निरीक्षक से कम श्रेणी का पुलिस अधिकारी इसका अन्वेषण नहीं कर सकेगा. धर्मान्तरण नहीं किया गया है, यह साबित करने का भार अभियुक्त पर होगा. इसके साथ ही विवाह को शून्य किए जाने का भी प्रावधान किया गया है.
इस कानून में एक वर्ष से पांच वर्ष का कारावास व कम से कम 25 हजार रुपए का अर्थदण्ड होगा. नाबालिग, महिला, अजा, अजजा के प्रकरण में दो से 10 वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50 हजार रूपए अर्थदण्ड प्रस्तावित किया गया है. इसी प्रकार अपना धर्म छुपाकर ऐसा प्रयास करने पर तीन वर्ष से 10 वर्ष का कारावास एवं कम से कम 50 हजार रूपए का अर्थदण्ड होगा. सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर पांच से 10 वर्ष के कारावास एवं कम से कम एक लाख रूपए के अर्थदण्ड का प्रावधान है.
भाजपा के नजरिये से लव जिहाद ही धार्मिक स्वतंत्रता का सबसे बड़ा शत्रु है. प्रदेश के एक मुख्यसचिव ने एक विधर्मी महिला से शादी की तो धर्म को कोई खतरा नहीं था.एक और आईएएस जो बाद में सांसद भी बने विधर्मी से घर बसाये हुए हैं तो धर्म को कोई खतरा नहीं है. एक पूर्व केंद्रीय मंत्री जो भाजपा के अपने  वरिष्ठ नेता हैं एक विधर्मी के पति हैं तो धर्म को कोई खतरा नहीं है क्योंकि ये सब समर्थ लोग हैं. सूरज,अग्नि और गंगा की तरह.लेकिन जो कमजोर हैं वे विधर्मियों से शादी करने या धर्म बदलने के लिए आजाद  है .
धर्म अपनाने या धर्म बदलने की आजादी देने वाला कानून कौन है ? ये मन का निर्णय होता है,इसे किसी क़ानून से यदि रोका जाता तो कब का रोक लिया जाता. धर्म का  ठेकेदार बनकर किस सरकार ने कितने धर्मांतरण रोक लिए ?आज भी धर्मांतरण जारी है और कल भी जारी रहेगा. जब,जिसे जो धर्म अच्छा लगेगा,तब व्क्यक्ति धर्म बदलेगा .हिन्दू से मुसलमान और मुसलमान से हिन्दू,हिन्दू से बौद्ध और बौद्ध से हिन्दू या मुसलमान या ईसाई बनेगा .जिसे जो बनना है सो बनने दीजिये भाई .क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा. हमारे देश में हर रोज नए क़ानून बनाये जाते हैं. पास्को बना लेकिन बूंदगढ़ी हुआ.यूपी हो या एमपी बंगाल हो या गुजरात सब जगह अराजकता है क्योंकि क़ानून अपना काम नहीं कर रहे .
राजनीति करने वालों को ये आजादी है की वे जब चाहें तब अपना धर्म बदलकर जनता के विश्वास की होली जलाकर सियासी लव जिहाद कर लें.हालाँकि सियासी लव जिहाद के खिलाफ भी क़ानून है किन्तु ये सियासी लव जिहाद नहीं रुका,रुक ही नहीं सकता क्योंकि ये 'दिल दा मामला' है..जैसे सियासत का कोई धर्म नहीं होता वैसे ही सांप और खासकर कोबरा का भी कोई धर्म नहीं होता.वो जब चाहे तब ,जिस राजनितिक दल के बिल में जाकर बैठ सकता है .जैसे भाजपा को लव जिहाद की वजह से हिन्दू धर्म खतरे में दिखाई देता है वैसे ही मुझे इस सियासी लव जिहाद से लोकतंत्र खतरे में दिखाई देता है ,लेकिन कानूनों के बावजूद मै किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता .बिगाड़ तो राजनीति कर रही है जबकि उसे बनाने की जिम्मेदारी   सौंपी गयी है .असली विधर्मी तो ये सियासत वाले ही हैं .ये सूरज हैं ये आग हैं ये गंगा हैं अर्थात ये हर पाप को जला सकते हैं,धो सकते हैं उसे कंचन जैसा पवित्र बना सकते हैं .हम लोग जिन्हें आम आदमी कहा जाता है कुछ नहीं कर सकते,सिवाय खामोश रहने के .लेकिन खामोश रहना भी एक जिहाद है ,ये समझ लीजिये. 
@ राकेश अचल

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने