बीएचयू के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में कलाई और कोहनी के जोड़ से सटीक उम्र के अनुमान पर शोध हो रहा है। शोध सफल रहा तो कानूनी तौर पर बालिग और नाबालिग का उम्र निर्धारण आसान हो जाएगा। अभी देश में जो फार्मूला अपनाया जाता है, उससे ज्ञात की गई उम्र में दो से ढाई वर्ष का अंतर आ जाता है।
कोर्ट और थाने में अक्सर बालिग व नाबालिग की उम्र को लेकर जिरह होती रहती है। दिल्ली के निर्भया केस के एक आरोपी को बालिग या नाबालिग मानने के लिए काफी जतन करने पड़े। संवेदनशील मामलों में फॉरेंसिक टीम उम्र का अनुमान दांत और शरीर की अलग-अलग हड्डियों से करती है। बीएचयू के फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उम्र में दो से ढाई साल का अंतर होता है। इससे बेगुनाह को उसकी उम्र से ज्यादा की सजा मिल सकती है। उम्र की सही जानकारी के लिए फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार पांडेय और रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आशीष वर्मा के निर्देशन में शोध छात्र प्रवीण कुमार तिवारी एक हजार सैंपल पर शोध कर रहे हैं।
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