*उच्च न्यायालय के आदेश पर आरक्षण सूची में बदलाव की कवायद शुरू होने से वर्तमान प्रत्याशी हुए मायूस।*
मिर्जापुर* उच्च न्यायालय के आदेश पर पंचायत चुनाव के लिए जारी आरक्षण सूची में बदलाव करने की सूचना पर वर्तमान प्रत्याशी मायूस दिखने लगे हैं , अब उन्हें यह डर सता रहा है कि होने वाले फेरबदल में उनकी लङने वाली सीट किस श्रेणी में जाएगी उसका लाभ उन्हे मिल पाएगा कि नहीं उधर चुनावी समर मे जोर आजमाईश कर रहे प्रत्याशी इस बात को लेकर काफी बेचैन हो गए हैं कि जो पंचायत चुनाव अप्रैल तक समाप्त होना था उसकी सीमा मई माह तक बढ़ा दी गई है जिससे अब खर्च भी बढ़ गया है वोटरों को अपने पक्ष में लुभाने के लिए लंबे समय तक उनकी सेवा करनी पड़ेगी बताया जाता है कि वर्तमान आरक्षण सूची के तहत तमाम प्रत्याशी क्षेत्र पंचायत जिला पंचायत एवं ग्राम प्रधान के चुनाव के प्रचार के लिए रात दिन एक कर दिए थे और वोटरों के लुभाने के लिए दावतो का दौर भी तेजी से चल पड़ा था लेकिन एकाएक उच्च न्यायालय के आदेश पर आरक्षण सूची में बदलाव करने की सूचना आने से प्रत्याशी बेचैन हो उठे हैं। इनको लगता है कि कहीं हमारी दावेदारी वाली सीट आरक्षण के तहत बदल न दी जाए सीट बदल देने की स्थिति में जो तैयारी की गई थी जगह – जगह भारी पैमाने पर बैनर पोस्टर लगाए गए हैं उसका क्या होगा कई लोगों को तो यह भी चिंता सताने लगी है कि आरक्षण के तहत कमजोर तबके के लोगों को भी चुनाव लड़ने का कयी बाहुबलीयो की सीट पर मौका मिल गया था अगर वह सीट पुन: बदलाव के तहत सामान्य सूची में गई तो बाहुबलियों के सामने वे कैसे चुनाव लड़ पाएंगे उधर कई प्रत्याशीयो का कहना है कि आरक्षण सूची जारी होने के बाद से ही मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने के लिए दावतों के नाम पर तथा अन्य खर्च के नाम पर जो धन खर्च किया जा रहा है अब चुनाव की समय सीमा बढ़ जाने से ज्यादा समय तक यह धन खर्चा करना पड़ेगा जिससे भारी आर्थिक बोझ उठानी पड़ेगी फिर हाल अब नई परिसीमन की सूची को लेकर गांव के गलियारे चट्टी चौराहे चाय पान की दुकानों पर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है ।कई लोग तो इसे सरकार की साजिश करार करते हुए यहां तक कह रहे हैं कि प्रदेश सरकार अपनी 4 साल की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए तथा समाज मे जातीय माहौल खराब करने व अपने राजनीतिक फायदे के लिए जानबूझकर चुनाव को न्यायालय के आदेश की आंङ मे प्रभावित करा रही है । जिसका परिणाम हम प्रत्याशियों को झेलना पड़ रहा है ।
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