NCR News:संसद की लिखित कार्यवाही को अधिक से अधिक ‘मर्यादित’ करने पर दोनों सदनों के सभापति खास जोर दे रहे हैं। इसी का नतीजा है कि बजट सत्र में अशोभनीय छींटाकशी, गैर सदस्य का नाम लेने की जगह रिश्तों से इंगित करने, घुमा-फिराकर आपेक्ष लगाने, राज्य सरकारों को संसदीय कार्यवाही में घसीटने जैसे मामलों में ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जा रही है।बजट सत्र के पहले हिस्से में ‘बालबुद्धि सांसद’ शब्द को असंसदीय करार दिया गया है। इस जुमले का इस्तेमाल सांसदों का उपहास उड़ाने के लिए किया गया था। 16वीं लोकसभा में तत्कालीन स्पीकर सुमित्रा महाजन ने ‘पप्पू’ शब्द पर अनौपचारिक रूप से रोक लगाई थी जिसे 17वीं लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने असंंसदीय शब्दों की सूची में शामिल करवा दिया।दोनों सदनों की कार्यवाही को लिखित रूप से दर्ज करने वाले संबंधित विभाग को कार्यवाही से अमर्यादित शब्द हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें सदस्य की हैसियत को पैमाना नहीं रखा गया है। सांसदों ही नहीं शीर्ष मंत्रियों तक की असंसदीय, अकारण, नियम से हटकर की गई टिप्पणियों को हटाया जा रहा है।तंज कसने के लिए परिवार, एक ही परिवार, जीजा, दो बच्चे, दीदी जैसे शब्द अवांछित, अशोभनीय व संसदीय मर्यादा के प्रतिकूल जुमलों को भी हटा दिया गया। ‘अनपढ़ सांसद’ और ‘अंगूठा छाप सांसद’ को भी असंसदीय सूची में डाला जा चुका है।
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