.मथुरा || भगवान सदा सर्वत्र विराजमान हैं l अकेली कोठरी में तुम जो कुछ भी करते हो , उसको वो जानते हैं - देखते हैं l तुम अपने हृदय के अत्यंत गोपनीय स्थल में विचार रुप से भी जो कुछ सोचते हो, जिसका कभी-कभी तुम्हें भी स्पष्ट ज्ञान नहीं होता, उसे भी वे प्रत्यक्ष देखते हैं। यदि भगवानकी इस सर्वज्ञता और सर्वसाक्षिता पर तुम्हारा विश्वास हो जाय तो फिर तुम छिपकर कभी भी कोई निषिद्ध कर्म नहीं कर सकते और न ही सोच सकते। क्योंकि स्वयं सर्वसमर्थ भगवान तुम्हारे प्रत्येक कर्म को देख रहे हैं । यही कारण है कि भगवान की सत्ता पर विश्वास आते ही मनुष्य पाप- कर्म से छूट जाता है । ऐसा कहा जाता है कि “हरि हरति पापानि” जिसका अर्थ है हरि भगवान भक्त के जीवन में आने वाली समस्याओं को तथा उन के पापों को दूर करते हैं।
अक्सर एकांत में विकार वृत्ति प्रबल होती है .. तब लगता है हम अकेले हैं और हमें कोई नहीं देख रहा...  और हम अपने मन के अनुरूप करने लगते हैं l परंतु जिस एकांत में हमारे साथ कोई अन्य नहीं होता,  उस समय में हमारे हर गतिविधि के साक्षी हमारे साथ परमात्मा होते हैं l इसीलिए ख़ुद को अकेला न माने , प्रभु साक्षी हैं और अपना हर पल प्रभु को समर्पित कर नाम जप भजन साधन में लगना चाहिए l इस से विकार वृत्ति नही आ सकती l
परमात्मा से ही दिल लगाओ ,  उसने ही ये हमारा दिल बनाया है !  हमारे दिल को धड़कन दी है! परमात्मा के सिवाय सब कुछ नश्वर है, छूटने वाला है! परमात्मा के सिवाय कोई अपना है ही नहीं! सारे रिश्ते नाते , धन , जमीन आदि यहीं छुट जाएंगे , इसीलिए इनसे क्या नेह लगाना ?! जैसे हमें अपने पिछले जन्म के रिश्ते नाते अब याद नही , ऐसे ही अगले जन्म में भी इनकी याद नही रहेगी ! 
हे मेरे ठाकुर जी, आपके और मेरे अनेक रिश्ते हैं, आपको जो अच्छा लगे अपना लो, बस मेरी एक ही अर्ज है आप मुझे अपना बना लो। हे नाथ ! हे मेरे नाथ !! मैं आपको भूलूँ नहीँ !! मैं जैसा भी हूँ आपका ही हूँ और आप मेरे हो । ☘                                        
🙏 जय श्री हरि , जय श्रीकृष्ण, हरि शरणम् , प्रेम से बोलो ...राधे राधे 🌹

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