ग्वालियर ||इन दिनों देश भर में कृषक बिलों को लेकर किसान संगठनों द्वारा आंदोलन छेड़ा हुआ है आज 11 मार्च के दिन शिवरात्रि का महापर्व भी है किसान आंदोलन को करीब 104 दिन आज पूरे होने जा रहे हैं आज के दिन भारत में किसान आंदोलन की शुरुआत करने वाले स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म दिवस भी है जब बात किसान आंदोलन की हो तो स्वामी सहजानंद सरस्वती की बात ना करना एक बेमानी होगा स्वामी सहजानंद सरस्वती राष्ट्रवादी वामपंथ के अग्रणी सिद्धांत का अश्वनी वेदांत और मीमांसा के महान पंडित तथा संगठित किसान आंदोलन के जनक एवं संचालक थे स्वामी जी का जन्म शिवरात्रि के दिन ही भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सन 22 फरवरी 1889 में महाशिवरात्रि के दिन ही हुआ था बचपन के दिनों से ही उनका मन अध्यात्म में रंगने लगा उन्होंने आध्यात्मिक दीक्षा ली लेकिन उनके बाल मन में धर्म की प्रकृति के खिलाफ विद्रोह भी पनपने लगा धर्म के अंधानुकरण के खिलाफ उनके मन में जो भावना पड़ी थी कालांतर में उसने सनातनी मूल्यों के प्रति उनकी आस्था को और गहरा किया वैराग्य की भावना को देखकर उनके पिता ने सन उन्नीस सौ पांच में ही बाल्यावस्था में उनका विवाह कर दिया सहयोग ऐसा रहा के स्वामी जी का ग्रस्त जीवन शुरू होने से पहले ही उनकी पत्नी का सन उन्नीस सौ छह में स्वर्गवास हो गया तदुपरांत सन उन्नीस सौ सात में स्वामी जी ने काशी जाकर स्वामी सच्चिदानंद जी से दशनामी दीक्षा लेकर अपने बचपन के नाम नवरंग राय से स्वामी सहजानंद सरस्वती में परिवर्तित हो गए उस समय काशी के कुछ पंडितों ने इनके सन्यास ग्रहण करने का भी विरोध किया विरोध केवल इस बात का था कि ब्राह्मणों के सिवा किसी और जाति को दंड जनेऊ धारण करने का अधिकार नहीं है स्वामी सहजानंद ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए विभिन्न मंचों पर शास्त्रार्थ करके यह साबित कर दिया कि वह भी कम योग्य व्यक्ति नहीं है वह भी सन्यास की पात्रता रखते हैं ।                  उन्हीं दिनों महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश में असहयोग आंदोलन बिहार से गति पकड़ा तो स्वामी जी भी उसके केंद्र में आ गए स्वामी जी ने देशाटन करके अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को खड़ा किया यह वह समय था जब स्वामी जी भारत को समझ रहे थे ।भारत की जनता को समझ रहे थे इस समय में स्वामी जी ने जब किसानों की हालत को देखा तो उस समय किसानों की हालत गुलामों से भी बदतर थी किसानों के प्रति हो रहे अन्याय गोस्वामी जी ने खत्म करने का बीड़ा उठाया और नारा दिया जो अन्न वस्त्र जाएगा अब कानून वही बनाएगा यह भारतवर्ष उसी का है अब शासन वही चलाएगा अपने इस सजातिय जमींदारों के खिलाफ भी स्वामी जी ने आंदोलन का शंखनाद किया जो सचमुच में एक अनूठी पहल थी उन्होंने उन्होंने किसान क्या करें नाम से एक पुस्तक का भी अपने जेल के दिनों में रचना की जिस पुस्तक के सात अध्याय थे ।१. खाना पीना सीखें २.आदमी की जिंदगी जीना सीखें ३.हिसाब करें और हिसाब मांगे ४.डरना छोड़ दें ५. लड़े और लड़ना सीखे ६.भाग्य और भगवान पर मत भूलें   ७.वर्ग चेतना प्राप्त करें स्वामी जी ने यह साथ सिद्धांत उस समय किसानों को दिए और इन 7 सिद्धांतों के बल पर ही किसानों की हालत और मेहनत का फल किसानों को ही प्राप्त हो। ऐसे एक संगठित किसान आंदोलन का निर्माण स्वामी जी ने किया स्वामी जी के किसान आंदोलन के बाद से देश की आजादी के इतिहास में पहली बार एक लंबे समय से शांतिपूर्ण किसान आंदोलन चल रहा है जो भी अविराम है यहां बता दें कि अभिराम किसान आंदोलन अभिराम संघर्ष का उद्घोष स्वामी जी ने ही दिया था जब सन 1934 में बिहार में  भूकंप आया तबाही हुई उससे पूर्व स्वामी जी अविराम किसान संघर्ष का उद्घोष कर चुके थे लेकिन भूकंप से आई आपदा में भी उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए बढ़-चढ़कर राहत कार्यों में हिस्सा लिया और राहत कार्य जारी रखें आज एक बार फिर से जब देश में किसान एक अविराम आंदोलन का शंखनाद कर चुके हैं 104 दिन के करीब आज किसान आंदोलन को होने जा रहे हैं स्वामी सहजानंद सरस्वती जी ने जो रास्ता दिखाया था किसानों को जो जीने की राह बताई थी किसान आंदोलन को स्वामी सहजानंद सरस्वती के जीवन पुण्य से प्रेरणा लेते हुए इस अविराम आंदोलन को इसी तरीके से शांतिपूर्वक चलाते हुए सरकार को मजबूर करना होगा ताकि यह तीनों काले कानून वापस हो सके हो सके यह स्वामी सहजानंद सरस्वती को आज के दिन सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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