अपनी अनोखी परंपराओं के लिए मशहूर काशी में बुधवार को शिव के भक्तों ने श्मशान पर चिता से निकली भस्म से होली खेली। हरिश्चंद्र घाट पर इस दौरान बाबा के भक्तों की अनोखी होली देखते ही बनी। इससे पहले बाबा की गवना बारात रवींद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम स्थल से आरंभ हुई। डमरूदल के सदस्यों की गर्जना के बीच हरहर महादेव का उद्घोष करते भक्त नाचते गाते हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। इस दौरान भक्तों ने शिव के गणों का रूप धारण किया। भगवान शंकर के साथ उनके प्रिय नंदी, भृंगी, शृंगी, नाग देवता और पार्वती का रूप भी दिखाई दिया।
रंगभरी एकादशी पर बाबा भोलेनाथ के गौना के अगले दिन काशी में उनके गणों के द्वारा चिता भस्म की होली की मान्यता है। रंगभरी एकादशी के मौके पर गौरा को विदा करा कर कैलाश ले जाने के साथ ही भगवान भोलेनाथ काशी में अपने भक्तों को होली खेलने और हुडदंग की अनुमति प्रदान करते हैं। बाबा के होली के हुडदंग की अनुमति के बाद ही काशी होलियाने मूड में आती है।
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