उतरौला(बलरामपुर) मोहल्ला रफ़ी नगर के इमाम बारगाह मसूद हुसैन में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मदीना छोड़ कर कर्बला जाने की याद में एक मजलिस का आयोजन किया गया।मजलिस को मौलाना मुहम्मद अली साहब ने संबोधित करते हुए कहा कि उस समय का अत्यन्त अत्याचारी क्रूर शासक यज़ीद दीन ए इस्लाम में जुआ,शराब और तमाम बुराईयों को दीन का हिस्सा बनाना चाहता था,और इस्लाम को दुनिया से मिटाना चाहता था,पर इमाम हुसैन अ.स. इस बात पर राज़ी नही हुए,वो नहीं चाहते थे कि उनके नाना के पवित्र मदीने में जहाँ अल्लाह का घर काबा भी है,वहाँ उनका और उनके साथियों का खून बहे,और इस्लाम का अस्तित्व मिट जाए,इसलिए आज के ही दिन 28 रजब सन 60 हिजरी को मदीने से बहुत दूर अपने परिवार के साथ कर्बला(इराक़) के अत्यन्त कठिन सफऱ निकल पड़े!उनके क़ाफ़िले में छोटे छोटे बच्चों के साथ काली अमारियों में परिवार की औरतें भी थीं,6 महीने के मुश्किल सफ़र के बाद ये क़ाफ़िला 2 मुहर्रम को कर्बला पहुंचा और अपनी शहादत देकर इस्लाम को बचाया,बस उसी की याद में दुनिया भर के शिया मुसलमान आज के दिन ग़म का इज़हार करते हैं।मजलिस के बाद अंजुमन ए क़मरे बनी हाशिम और अंजुमने ए वफ़ा ए अब्बास के सदस्यों ने नौहाख्वानी और सीनाज़नी के द्वारा अपने इमाम को पुरसा पेश किया
जुलूस में मौलाना सिब्ते हैदर,एजाज़ रज़ा,हसनैन आब्दी,फ़हमीद रज़ा,हसन सज्जाद,समीर रिज़वी,हुसैन सज्जाद,ऐफ़ाज़ुल हसन,सईद जाफ़री,अली मुर्तुज़ा,शुजा उतरौलवी अम्मार रिज़वी,मुदस्सिर रिज़वी और इमामिया ट्रस्ट के अध्यक्ष ऐमन रिज़वी के साथ साथ भारी पुलिस बल शामिल रहा।जुलूस मुख्य मार्गों से होता हुआ शाम होते होते यावर हुसैन के इमाम बारगाह जाकर सम्पन हुआ।
असगर अली
उतरौला
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