गाजीपुर के एक परिवार ने शादी में 30 लाख नगद व आभूषण देने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। इस पर वर पक्ष के लोगों को जेल हो गई। लेकिन जब आयकर विभाग ने आरोप लगाने वाले परिवार के आयकर रिटर्न व आय के स्रोतों की जांच की तो उन्होंने लिखित रूप से दहेज देने से इनकार कर दिया। इसकी जानकारी दूसरे परिवार ने आरटीआई से निकाल ली और जेल से छूट गए।
केस-2
बनारस के एक कारोबारी परिवार की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में दहेज में 20 लाख रुपये नगद, चार पहिया वाहन व आभूषण देने की बात कही गई। इस केस में भी वर पक्ष को जेल हो गई। कुछ महीनों बाद उसी परिवार ने आयकर विभाग की जांच में कोई दहेज न देने की जानकारी दी। इस आधार पर वर पक्ष को राहत मिल गई।ये दो उदाहरण हैं जो बता रहे हैं कि आयकर विभाग की जांच के दायरे में अब दहेज के भी मामले आने लगे हैं। वाराणसी जोन के तहत गाजीपुर, चंदौली, बलिया, भदोही में पिछले दिनों में 15 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें आयकर विभाग दहेज के रूप में दस लाख से 40 लाख रुपये तक नगदी, लक्जरी वाहन, सोने व हीरे आभूषण देने की पड़ताल कर रहा है। जब दहेज देने वाले परिवारों से आयकर विभाग के अधिकारी सवाल करते हैं तो वे साफ नकार देते हैं जबकि कुछ समय पहले ही उन्होंने एफआईआर में खुद ये बात स्वीकार की हुई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयकर अधिनियम के तहत 20 हजार रुपये से ज्यादा नगद लेनदेन जांच के दायरे में आता है। दहेज के मामलों में कुछ परिवारों की आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच की जा रही है।
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