संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से जारी शिक्षकों की फर्जी डिग्रियों के संबंध में एसआईटी की जांच रिपोर्ट और शासन के पत्र ने कई लोगों की नींद उड़ा दी है। परिसर में ‘जितने मुंह-उतनी बातें सुनाई दे रही हैं। सबकी उत्सुकता उन 19 नामों को लेकर है, जिनका रिपोर्ट में जिक्र होने की चर्चा है। विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रही है। ऊहापोह और अटकलों के बीच लोगों को रजिस्ट्रार राजबहादुर के 12 मार्च तक लौटने का इंतजार है।
चर्चाओं के अनुसार एसआईटी ने ऐसे लोगों के भी नाम अपनी रिपोर्ट में डाल दिए हैं जिनका इस प्रकरण से कोई लेना देना नहीं है। कुछ ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने तत्कालीन कुलपतियों के कहने पर कुछ दिनों के लिए जिम्मेदारी संभाली थी। यह भी कहा जा रहा है कि एसआईटी की मंशा दोषियों को चिन्हित करने की नहीं थी। यदि मामला अदालत में चला तो लंबा खिंच जाएगा।
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