NCR News:अदालत ने अधिकवक्ता महमूद प्राचा के खिलाफ जारी सर्च वारंट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। प्राचा के कार्यालय में पुलिस ने 9 मार्च को रेड की थी। पुलिस का आरोप है कि दंगों के मामले में आरोपी की जमानत करवाने के लिए प्राचा ने फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे। इस मामले में प्राचा के कार्यालय पर पुलिस पहले भी रेड कर चुकी है।पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने महमूद प्रचा और दिल्ली पुलिस के तर्कों को सुनने के बाद पुलिस से कहा कि वह अगली सुनवाई तक सर्च वारंट का क्रियान्वयन नहीं करें। उन्होंने इसके साथ ही सुनवाई 12 मार्च के लिए स्थगित कर दी।महमूद प्राचा ने अपने कार्यालय में तलाशी को लेकर जारी सर्च वारंट का विरोध करते हुए कहा कि हार्ड डिस्क में काफी महत्वपूर्ण डाटा है जो उनके मुवक्किल के हित से संबंधित है। यदि पुलिस की अपराध शाखा उसे ले लेती है तो उससे उनके मुवक्किल को काफी नुकसान होगा। ऐसे में अपने मुवक्किल के हित को ध्यान में रखते हुए वह उक्त दस्तावेज पुलिस को नहीं दे सकते। बतौर अधिवक्ता यह उनका कर्तव्य भी है कि वह अपने वकील के हित का ध्यान रखें। उन्होंने कहा इसमें बड़े मुद्दे शामिल हैं। पूरी न्यायिक प्रणाली इसमें शामिल है। मैं संविधान को बचाने के लिए खुद को कुर्बान करने को तैयार हूं। कृपया मेरे मुवक्किल, संविधान और साक्ष्य अधिनियम की रक्षा करें। दलीलों के दौरान प्राचा ने यह भी दलील दी कि दंगों के वीडियो से यह साफ हो गया है कि उनकी शिकायत झूठी नहीं है। इसके बाद यह वीडियो कोर्ट में दिखाया गया।उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यालय पर तलाशी व उक्त दस्तावेज राजनीतिक कारणों से मांगे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने मुवक्किलों के हित में उक्त दस्तावेज नहीं दे सकते। प्राचा के तर्क सुनने पर अदालत ने उनसे पूछा कि वह डाटा में से उस भाग को हटा दें जो उनके मुवक्किल से संबंधित है और उसे पुलिस को दे दें।
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