औरैया // हमारे देश में धार्मिक त्योहारों का सृजन सामाजिक समरसता, आध्यात्मिक व प्राकृतिक वातावरण को शुद्ध रखने के लिए किया गया इसमें होली के त्योहार का अपने आप में कुछ अलग ही महत्व है बहुरंगों में सराबोर शरीर हमें एकता का संदेश भी देते दिखते हैं इसमें लोक गायन की अनूठी परंपरा जो आपस के गिले शिकवे दूर कर मेल मिलाप का आधार भी हैं जो अब विलुप्त सी होती जा रही है भारतीय संस्कृति को अक्षुण्य बनाए रखने में लोक संगीत फाग गायन का विशेष महत्व है भारत में प्रचलित 34 विधाओं में इसे सर्व श्रेष्ठ माना जाता है लोक संस्कृति में भारत को जगत गुरु होने का श्रेय भी प्राप्त है गाँव गाँव व शहरों में होलिका दहन के समय भी फगुवारों की टोलियां पूरे नगर से एकत्रित होकर पहुँचती थीं शाम से ही होली परिसर में ढोल, झांझ की ही गूंज सुनाई देती थी इस विधा के मर्मज्ञ तरह-तरह के फॉग गीत गाकर पूरे साल के दुख दर्द भूलकर खुशियों में सराबोर दिखते नजर आते थे गांवों में तो यह रीति रिवाज थी कि जिन घरों में किसी प्रकार दुखद घटना हो जाती थी। सबसे पहले उन घरों में फगुवारों की टोलियां पहुंचकर संवेदनायुक्त गीत गाकर पूरे परिवार को मानसिक रूप तैयार करती थीं और सभी होली के रंगों में रंग जाते थे। गांव की भाषा में इसे अनुराया भी कहते हैं। इस विधा के धीरे-धीरे विलुप्त होने की वजह फॉग गायन से जुड़े लोग इस तरह बताते हैं पहले गाँव में एक जगह एकत्रित होकर फॉग का आयोजन करते थे अब यह खत्म सी हो गई है इसमें किसी को रुचि भी नहीं रह गई है होलिका दहन के बाद अष्टमी तक देर रात तक फाग प्रतियोगिताएं होती थीं समाज में नशीले पदार्थों का दौर भी वैमस्यता की एक वजह रही है इसके सेवन की वजह से कार्यक्रमों में झगड़े फसाद होने शुरू हो जाते हैं। बड़े-छोटे का मान सम्मान समाप्त हो गया है जिसकी वजह से परंपरा गायब सी होती जा रही है जिला बनने के बाद यहां के प्रथम जिलाधिकारी सुरेश चंद्र शर्मा ने लोक गायन के बजट में जनपद स्तरीय फॉग प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसके संयोजक उन्हें बनाया गया था उसके बाद से आज तक कोई प्रशासनिक आयोजन नहीं हुआ भाग दौड़ भरी जिदगी व महंगाई के दौर में किसी के पास समय नहीं है। ऐसे कार्यक्रमों के लिए जब तक महफिल न जुटे तो इसका आनंद भी नहीं आता मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक संसाधन भी इसकी वजह हैं। घरों में बैठकर टीवी के माध्यम से लोग अपना मनोरंजन ज्यादा पसंद करते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव 

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