महाजनो  येन गत: स पंथ:
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आज सचमुच मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. हमारे परम लोकप्रिय  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज कोरोना का टीका लगवाकर अपनी  ही पार्टी के उन नेताओं के दुष्प्रचार को गलत साबित कर दिया है जो उन्हें इस युग का अवतार बताने पर आमादा हैं.योगी आदित्यनाथ और मामा शिवराज सिंह  चौहान से लेकर भाजपा के ऐसे अनेक नेताओं की लम्बी फेहरिस्त है जो मोदी को अवतार बताकर अपनी कुर्सी को स्थायित्व देने की महाभूल कर रहे हैं .
भाजपा नेताओं के दुष्प्रचार की वजह से देश में बहुत से लोग मोदी जी को अवतार मानने लगे थे ,लेकिन मोदी जी ने कोरोना का टीका लगवाकर प्रमाणित कर दिया कि वे अवतार नहीं बल्कि दूसरों की तरह मनुष्य हैं और इसीलिए कोरोना से बचाव के लिए टीका लगवा रहे हैं .दुनिया जानती है कि अवतार बीमारी और मृत्यु से कभी नहीं डरते .आपने कभी पढ़ा है कि अवतारों को कभी जुकाम,खांसी ,बुखार ,पीलिया या फ़्लू हुआ हो.ये सब मनुष्यों को होने वाली बीमारियां है. मनुष्यों मेंघृणा,क्रोध,हिंसा,प्रेम,दया,माया ,जातिवाद,पक्षपात जैसे तमाम बीमारियां होती हैं .
मोदी जी के टीका लगवाने के बाद मुझे यकीन है कि देश में टीकाकरण  की रफ्तार ही नहीं बढ़ेगी बल्कि लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा,क्योंकि अब भक्तों के साथ मोदी जी अभक्त भी टीका लगवाने में नहीं हिचकेंगे .मोदी जी ने टीका लगवाया है और कैमरे के सामने लगवाया है इसलिए अब कांग्रेस या राहुल गांधी मोदी जी से पाकिस्तान के खिलाफ की गयी ' एयर स्ट्राइक' की तरह प्रमाण नहीं मांग पाएंगे .नहीं तो कांग्रेसियों का क्या भरोसा वे माननीय प्रधानमंत्री जी से टीका लगवाने के प्रमाण भी मांग लेते और बाद में हमारे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी को प्रमाण जुटाकर मीडिया के सामने पेश करना पड़ते .
दरअसल ये सब इसलिए है क्योंकि देश में पिछले सात साल से अविश्वास का वातावरण है. आम आदमी तो छोड़िये राजनीतिक दलों का एक -दूसरे पर भरोसा नहीं रहा .दलों का तो छोड़िये पार्टी वाले पार्टी वालों पर यकीन नहीं कर रहे .अब देखिये न कांग्रेस में गुलाम नवी आजाद ताउम्र  हाईकमान की गुलामी करने के बाद भी सिर्फ इसलिए संदिग्ध हो गए हैं क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की तारीफ़ कर दी है .आजाद की तरह हर कोई मोदी जी की तारीफ़ करने के लिए आजाद है. ये आजादी सभी को संविधान ने दी है .
..तो बात मोदी जी के कोरोना वायरस के टीका लगवाने की हो रही थी .मोदी जी ने टीका लगवाया तो यकीन मानिये की 30  करोड़ की सदस्य्ता वाली भाजपा के सभी कार्यकर्ता अब टीका लगवाकर टीकाकरण के लक्ष्य को काफी आगे तक ले जायेंगे .मै तो कहता हूँ कि कांग्रेसियों को भी अब ये टीका लगवाना चाहिए,मै तो चूंकि  इस वक्त स्वदेश में नहीं हूँ अन्यथा ये स्वदेशी टीका जरूर लगवाता .टीका लगवाने में हम भारतीय जन्म-जन्म से आगे रहे हैं. एक ज़माने में हर बच्चे की बांह पर दो टीकों के निशान होते थे,कालांतर में ये निशान श्रीमती के माथे की बिंदी जितने बड़े हो गए हैं .
हम भारतीय बांह पर ही नहीं माथे पर भी तरह तरह के टीके लगवाते हैं .कोई सीतारामी टीका लगाता है तो कोई त्रिपुण्ड लगता है. कोई स्वर्गीय कमलापति त्रिपाठी या माननीय गिरिराज किशोर की तरह रोली की जनानी बिंदी लगता है. दक्षिण में सफेद और काले रंग के टीके लगाए जाते हैं .अतीत में युद्ध के समय टीका लगाने का रिवाज था ही. उस समय चूंकि इंजेक्शन का ईजाद नहीं हुआ था इसलिए तरह-तरह के अभिमंत्रित रंग के टीके लगाए जाते थे .ये टीके आज भी लगाए जाते हैं. इन्हें देखकर आपके धर्म और इष्ट तक की शिनाख्त की जा सकती है. जो लोग रंगदार ठीके नहीं लगते उनके ललाट पर सजदा करते-करते टीके का निशान बन जाता है जो साबित करता है की आप खुदा  के बन्दे हैं .अमेरिका में कोई टीका नहीं लगाता .टीका लगाने पर कॉपीराइट भारत का ही है. भारत ने कोरोना के ठीके भी सबसे पहले बनाये और दुनिया के तमाम देशों को दान में भी दिए ,ये भारत की दरियादिली है .
खुशी की बात ये है कि मोदी जी ने कोरोना का टीका बिना किसी धूमधाम के लगवाया,केवल एक केमरामेन को साथ लेकर गए .मजा तब आएगा जब वे  किसी दिन इसी तर्ज पर सौ दिन से दिल्ली की देहलीज पर सत्याग्रह कर रहे किसानों से भी डील कर उनका सत्याग्रह   समाप्त करा देंगे .वे ऐसा करा सकते हैं. वे कुछ भी करा सकते हैं .मोदी जी की क्षमता पर किसी को संदेह नहीं करना चाहिए,क्योंकि मोदी हैं तो सब मुमकिन है,सिवाय कालाधन  और बैंकों का रुपया लूटकर भागे सेठों की स्वदेश वापसी के .मोदी जी अक्सर जो कहते हैं सो करते हैं. वे स्वर्गीय इंदिरा गांधी की तरह नहीं हैं. इंदिरा जी जो कहती थीं सो करतीं नहीं थी और जो करती थीं सो कहती नहीं थीं .
माननीय प्रधानमंत्री ने खुद को मनुष्य घोषित कर ये उम्मीद जगा दी है कि भविष्य में वे जो भी करेंगे वो मानवोचित होगा देवताओं की तरह नहीं .देवताओं के पास मोदी जी की तरह आम आदमी होने का अनुभव नहीं है. मोदी जी ने क्या नहीं किया.जो आम आदमी करता है ?मोदी जी ने घर-गृहस्थी छोड़ी,चाय बेची,संघदीक्षा ली .अटल जी की फटकार के बावजूद राजधर्म नहीं निभाया तो नहीं निभाया .उन्होंने राज्य धर्म निभाया .एक गुजराती के नाते वे जो कर सकते थे वो उन्होंने किया .एक प्रधानमंत्री के रूप में भी वे जो कर सकते हैं सो कर रहे हैं .हाल ही में मोदी जी के हनुमान श्री अमित शाह ने भी एक स्टेडियम का नाम मोदी जी के नाम पर रखकर दूसरे नेताओं के लिए रास्ता खोल दिया है .
दुनिया में मोदी जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सीना ठोंककर कहा है कि व्यापार करना सरकार का काम नहीं है .इसी गरज से उन्होंने उन तमाम सार्वजनिक उपक्रमों को बेच डाला जो सरकार को व्यापार करने के लिए मजबूर करते थे .इन तमाम उपलब्धियों के लिए हमें प्रधानमंत्री जी काअभिनन्दन करना चाहिए,उनका कृतज्ञ होना चाहिए .ऐसे प्रधानमंत्री अपवाद होते हैं .ऐसे प्रधानमंत्री देश को सौभाग्य से मिलते हैं जो देश के अन्नदाता को सौ दिन सत्याग्रह करने की छोट देते हैं. मोदी जी कि जगह कोई और होता तो अभी तक किसानों की हड्डी-पसली एक कर चुका होता .देश में अभिव्यक्ति की इसे ज्यादा आजादी भला और क्या हो सकती है ?किसानों को सरकार का ऋणी होना चाहिए कि उसने किसानों को सत्याग्रह करने के बहाने आराम करने का अवसर मुहैया कराया .मुझे उम्मीद है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद पहली फुर्सत में सरकार किसानों का मसला भी हल कर देगी .
@ राकेश अचल

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