NCR News:सुप्रीम कोर्ट ने माेरेटाेरियम (कुछ समय के लिए कर्ज की किस्तें चुकाने पर रोक) मामले में कर्जदाराें काे राहत दी है। अपने फैसले में मंगलवार काे शीर्ष काेर्ट ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए माेरेटाेरियम की छह महीने की अवधि के दाैरान चक्रवृद्धि या दंड ब्याज लेने का काेई औचित्य नहीं है।यह दंड जानबूझकर कर्ज चुकाने वालाें पर लगाया जाता है। लिहाजा, यह बैंक द्वारा वसूला गया है ताे उसे कर्जदार के खाते में वापस, क्रेडिट या एडजस्ट करना हाेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, बैंकों को भी कुछ राहत दी। अदालत ने कहा कि ब्याज में पूरी तरह छूट संभव नहीं है, क्योंकि इसका सीधा असर जमाकर्ताओं पर पड़ेगा। इसके साथ ही अदालत ने लोन मोरेटोरियम की अवधि भी बढ़ाने से मना कर दिया।पिछले साल काेराेना महामारी के कारण पूरे देश में लाॅकडाउन के कारण काराेबार ठप थे। बड़े पैमाने पर लोगों की नाैकरियां भी गई थीं। इसी के चलते रिजर्व बैंक ने कर्ज की किस्तें चुकाने पर छह महीने का माेरेटाेरियम दिया था। पहले एक मार्च से 31 मई और बाद में इसे बढ़ाकर 31 अगस्त तक छूट दी थी। जस्टिस अशाेक भूषण की बेंच ने माेरेटाेरियम अवधि 31 अगस्त से अागे बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि यह नीतिगत निर्णय है।

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