संभाजी महाराज की पुण्यतिथि पर विशेष

देश धर्म पर मिटने वाला
शेर शिवा का छावा था ।
महा पराक्रमी, परम प्रतापी
एक ही शंभु राजा था ॥

         छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर पुत्र संभाजी जिंहो ने अपने जीवन में 128 युद्ध लड़े और सभी जीते भी। इस शेर छावा ने 9 साल तक हिंदवी स्वराज की कमान बहोत अच्छे से संभाली।
        
         लेकिन औरंगज़ेब ने उन्हें छल से क़ैद कर लिया। औरंगज़ेब ने संभाजी महाराज को धर्म परिवर्तन करने की शर्त पर छोड़ ने का प्रस्ताव रखा लेकिन ये कोई गिधड़ थोड़ी था जो कुछ प्रलोभन में आ कर अपने धर्म से ग़द्दारी करे..! ये तो संभाजी शेर था। जिन्हो ने धर्म परिवर्तन से साफ़ इनकार कर दिया।

         संभाजी महाराज के धर्म छोड़ने को मना करने पर औरंगज़ेब बोखला गया। फिर उस कायर ने अपनी नीचता दिखाना शुरू किया। संभाजी के एक-एक कर सारे नाखून निकाल दिए गए, हाथ-पैर की उँगलिया काट दी गई, हाथ काटे फिर पैर काटे, चमड़ी निकाल दी, गर्म सलीयो से आँखे फोड़ दी। सभी अत्याचार पर औरंगज़ेब का एक ही सवाल होता.. क्या धर्म छोड़ने को तैयार हो..? और संभाजी का एक ही जवाब होता.. नहीं..

          अंततः औरंगज़ेब ने हार मान ली और संभाजी धर्म छोड़ेंगे यह उम्मीद छोड़ दी। और उसने संभाजी का सर कलम करवा दिया। संभाजी महाराज हिंदुत्व की रक्षा में समर्पित हो गए।

          किंतु उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया। हिंदवी स्वराज की आग हर दिल में जलने लगी। और मुग़लों का दक्खन जितने का स्वप्न स्वप्न ही रह गया।

       अमर बलिदानी छत्रपति संभाजी महाराज को बलिदान दिवस पर शत शत नमन..🙏

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