अम्बेडकरनगर। आज से चौदह सौ साल पहले यजीद ने कुरान का इंकार करके अपने हिदायत से गुमराही की तरफ जाने का ऐलान किया था और आज फिर यजीद की नुमाइंदगी करता हुआ एक शख्स कुरान और उसकी आयत किन सदाकत का इंकार और उनकी मुखालिफत करते हुए अपने मुर्तद होने का ऐलान कर रहा है ऐसे मुर्तद अफ़राद से तालुक रखना या उस के लिए दिल में मोहब्बत होना। खुद ईमान में कमज़ोरी की निशानी है।दीन इस्लाम की सबसे मोतबर किताब का नाम कुरान करीम है जिस के हर लफ्ज़ पर वही के पहरे है और इसमें बातिल नहीं सकता।वो हक के सिवा कुछ नही बोलती इस किताब में इंसान की जिंदगी की वो तमाम बाते है जिसको पढ़ कर इंसान अपनी जिंदगी सवर जायेगी। वसीम ने कहा कि ये आयते आतंकवाद को बढ़ावा देती है। शायद उसको नही मालूम की कुरान वो किताब हैं की अगर उसकी आयत को किसी चोर डाकू के सामने पढ़ी जाए और वो सच्चे दिल से पढ़े तो वो चोर भी अपने रास्ते को छोड़ कर सही रास्ते पर आ जाते है। ये वो किताब है की जो आखरी रसूल का वो मोजिज़ा है जिस को खुदा ने उनको अता किया है और ये किताब इमामो के ज़माने में थी मगर किसी इमाम ने कभी नही कहा की इसमें ये आयत गलत है इसको निकाला जाए।मगर इस कमबख्त ने अपनी ज़बान खोल कर ये बता दिया की मैं कुरान के मुखालिफ हू।और कुरान की तफसीर बहुत से आलिमों ने की मगर कभी किसी आलिम ने नहीं कहा की ये आयत गलत हैं । तारिख गवाह हैं की अगर कोई कुरान से टकराया है तो दुनिया से उसका वजूद खत्म हों गया। इमाम हुसैन के सामने यजीद आया उसने कुरान का मजाक उड़ाया तो खुदा ने उसको इस कदर जलील किया की आज उसका नाम लेते हुए लोग शरमाते है। खुदा ने दुनिया से उसका वजूद खत्म कर दिया। इसी तरह आज भी एक हुसैन पर्दे में है जो कुरान की हिफाज़त के लिए है। अब कोई अगर इस किताब पर उंगली उठाए और उसकी कुछ आयतों को गलत बता कर उन आयतों को कुरान से निकालने की बात कर के लाखों मुसलमानो का दिल दुखाया है ये सिर्फ मुसलमानों के दरमियान तफरका डालने की नापाक कोशिश है
तमाम मुसलमानो को चाहिए कि वो एक साथ होकर इसके खिलाफ अपना विरोध जताए
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