मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय
लखनऊ: 25 मार्च, 2021
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
पुलिस जनपद कानपुर (नगर) एवं वाराणसी (नगर) में
पुलिस आयुक्त प्रणाली के क्रियान्वयन सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर
कानपुर (नगर) तथा वाराणसी में पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदत्त किए जाने के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी किए जाने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद ने अनुमोदित कर दिया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 20 व 21 में इस सन्दर्भ में प्राविधान किए गए हैं। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-20 की उपधारा-5 एवं उपधारा-2 के अनुसार महानगरों के पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन महानगरों के सम्बन्ध में क्षेत्र के कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं अपर जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियों एवं उनमें से कोई शक्ति पुलिस आयुक्त को प्रदत्त की जाएगी।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 21 के अनुसार संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त एवं सहायक पुलिस आयुक्त को विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार प्रदत्त किए जाने का निर्णय लिया गया है।
इसके अलावा, पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त एवं सहायक पुलिस आयुक्त को विधीक्षित अधिसूचना के माध्यम से जिन अधिनियमों में परिभाषित कार्यपालक मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए जाने का भी निर्णय लिया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश गुण्डा नियंत्रण अधिनियम-1970, विष अधिनियम-1919, अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम-1956, पुलिस (द्रोह-उद्दीपन) अधिनियम-1922, पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम-1960, विस्फोटक अधिनियम-1884, कारागार अधिनियम-1894, शासकीय गुप्त बात अधिनियम-1923, विदेशियों विषयक अधिनियम-1946, गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम-1967, पुलिस अधिनियम-1861, उ0प्र0 अग्निशमन सेवा अधिनियम-1944, उ0प्र0 अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम-2005 तथा उत्तर प्रदेश गिरोहबन्द और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम-1986 सम्मिलित हैं।
इस निर्णय से आम जनमानस को और अधिक सुरक्षा व सहयोग प्राप्त होगा तथा पुलिस विभाग की कार्यशीलता व प्रभाविता में वृद्धि होगी। प्रदेश मंे लखनऊ नगर तथा जनपद गौतमबुद्धनगर के सफल प्रयोग के पश्चात यह व्यवस्था लागू की जा रही है।
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हाई-टेक टाउनशिप नीति के अन्तर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के कार्य क्षेत्र में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव मंजूर
मंत्रिपरिषद ने हाई-टेक टाउनशिप नीति के अन्तर्गत मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के कार्य क्षेत्र में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। नीति के अन्तर्गत उच्च स्तरीय समिति की दिनांक 13 अगस्त, 2019 को सम्पन्न बैठक में लिए गए निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु सम्बन्धिी विकास प्राधिकरणों से प्राप्त आख्याओं के परिशीलन, सम्बन्धित विकासकर्ताओं तथा क्रेडाई, उत्तर प्रदेश के साथ हुई बैठकों में हुए विचार-विमर्श एवं फीडबैक के आधार पर अनेक होमबायर्स/निवेशकर्ताओं के हितों के संरक्षण तथा व्यापक जनहित में हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं को पूर्ण किए जाने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय समिति के कार्यक्षेत्र में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है।
हाई-टेक टाउनशिप की संशोधित नीति के अन्तर्गत वर्तमान में क्रियाशील हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं के आकार को सम्बन्धित विकास प्राधिकरण के स्तर से परीक्षण कराते हुए हाई-टेक टाउनशिप हेतु निर्धारित न्यूनतम सीमा 1500 एकड़ से यथावश्यकता कम किए जाने हेतु उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने का निर्णय लिया है। विकासकर्ता द्वारा हाई-टेक टाउनशिप परियोजना की संशोधित/पुनरीक्षित डी0पी0आर0 शासनादेश निर्गत होने के 03 माह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी।
परियोजनाओं के पूर्ण करने हेतु यदि ऐसी भूमि, जो योजना के क्षेत्र के बाहर स्थित हो और विकासकर्ता के स्वामित्व में हो, किन्तु उक्त भूमि योजना की निरन्तरता में हो, को इस शर्त के साथ पुनरीक्षित परियोजना की डी0पी0आर0 में सम्मिलित किए जाने पर विचार किया जा सकता है कि ऐसी भूमि का क्षेत्रफल पुनरीक्षित परियोजना के क्षेत्रफल से 10 प्रतिशत से अधिक न हो।
हाई-टेक टाउनशिप नीति की व्यवस्थानुसार उच्च स्तरीय समिति को चूंकि परियोजना अवधि में 10 वर्ष से अधिक विस्तार अनुमन्य किए जाने का अधिकार नहीं है, अतः ऐसी परियोजनाओं, जिनकी अवधि शेष नहीं है, उनको पूर्ण किए जाने हेतु केस-टू-केस आधार पर 80,000 रुपए प्रति एकड़ (अविकसित क्षेत्रफल पर) की दर के समय विस्तार शुल्क आरोपित करते हुए केवल 05 वर्ष की समयवृद्धि प्रदान किए जाने के लिए उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है।
विकासकर्ता द्वारा समय विस्तार शुल्क का भुगतान संशोधित/पुनरीक्षित डी0पी0आर0 की स्वीकृति के समय किया जाएगा। परियोजनाओं को पूर्ण करने में यदि मा0 न्यायालय के स्थगनादेश अथवा नियामक/शासकीय अभिकरण की कार्यवाही के फलस्वरूप विलम्ब हुआ हो, तो ऐसी अवधि को शून्य (जीरो पीरियड) माना जाएगा। किसी अभिकरण स्तर पर हुए विलम्ब अथवा शिथिलता के कारण परियोजना के लम्बित होने की स्थिति में सम्बन्धित अभिकरण के उत्तरदायी कार्मिकों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
परियोजना का प्रत्येक चरण भौतिक एवं सामाजिक अवस्थापना सुविधाओं के प्राविधान की दृष्टि से ‘सेल्फ कन्टेन्ड’ होगा। प्रत्येक चरण का डिटेल्ड ले-आउट प्लान तभी स्वीकृत किया जाएगा, जब मूलभूत सुविधाओं और विशेषकर बिजलीघर तथा एस0टी0पी0 के प्रस्ताव विकासकर्ता के स्वामित्व की भूमि पर हों। परियोजना के अन्य विकास कार्यों की प्रगति के अनुपात में मूलभूत सुविधाओं का विकास/निर्माण किया जाएगा।
निर्णय के अनुसार भूमि के जुटाव में आ रही समस्याओं एवं प्रक्रियागत बाधाओं को दूर किए जाने हेतु राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कर उपलब्ध कराए जाने सम्बन्धी समस्त प्राविधानों को अवक्रमित करते हुए हाई-टेक टाउनशिप परियोजना को पूर्ण किए जाने हेतु आवश्यक भूमि का जुटाव स्वयं विकासकर्ता के स्तर से किया जाएगा। शासकीय अभिकरण/राज्य सरकार द्वारा टाउनशिप के विकास हेतु भूमि अर्जित कर उपलब्ध नहीं करायी जाएगी। हाई-टेक टाउनशिप परियोजना के अन्तर्गत अनधिकृत निर्माण के नियंत्रण/हटाने के लिए प्राधिकरण एवं जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
इस निर्णय के क्रम में हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं के सम्बन्ध में उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का निराकरण सुनिश्चित कराने हेतु निर्णय लेने/मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
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रबी विपणन वर्ष 2021-22 में लक्ष्य से अधिक गेहूं क्रय हेतु
पी0सी0एफ0 के पक्ष में 2800 करोड़ रु0, पी0सी0यू0 के
पक्ष में 700 करोड़ रु0 तथा यू0पी0एस0एस0 के पक्ष में
300 करोड़ रु0 की शासकीय गारण्टी का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने रबी विपणन वर्ष 2021-22 में लक्ष्य से अधिक गेहूं क्रय किए जाने हेतु पी0सी0एफ0 के पक्ष में 2800 करोड़ रुपए, पी0सी0यू0 के पक्ष में 700 करोड़ रुपए तथा यू0पी0एस0एस0 के पक्ष में 300 करोड़ रुपए की शासकीय गारण्टी शासन द्वारा दिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
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प्रदेश में गैर शीरा पदार्थों से एथेनाॅल उत्पादन
अनुमन्य किए जाने का प्रस्ताव मंजूर
मंत्रिपरिषद ने 18 मार्च, 2016 के पूर्व निर्गत शासनादेश (जो केवल पेय मदिरा के परिप्रेक्ष्य में संगत है) को अवक्रमित करते हुए प्रदेश में गैर शीरा पदार्थों (अनाज/आलू/चुकन्दर/स्वीट सोरगम/सोरगम स्टेम आदि अन्य राॅ मैटेरियल) से दोनों प्रकार के अल्कोहल (अर्थात पेय मदिरा हेतु एवं औद्योगिक प्रयोग हेतु) के निमित्त एथेनाॅल उत्पादन अनुमन्य किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह भी निर्णय लिया गया है कि ऐसी अनुमन्यता प्रदान करते समय प्रदेश में अनाज की उपलब्धता को ध्यान में रखा जाएगा।
मौजूदा आसवनियों को दोहरी फीड डिस्टिलरियों में परिवर्तित किए जाने की अनुमति उसी अधिष्ठापित क्षमता में अथवा अधिष्ठापित क्षमता में वृद्धि कर सक्षम स्तर से निर्णयोपरान्त प्रदान की जाएगी, अर्थात
ऽ शीरे से अल्कोहल का उत्पादन करने वाली पूर्व स्थापित आसवनियों को गैर शीरा (अनाज/आलू/चुकन्दर/स्वीट सोरगम/सोरगम स्टेम आदि अन्य) पदार्थ/राॅ-मैटेरियल से दोनों प्रकार के अल्कोहल (अर्थात पेय मदिरा हेतु एवं औद्योगिक प्रयोग हेतु) के निमित्त एथेनाॅल उत्पादन
ऽ गैर शीरा आधारित आसवनियों को दोहरी फीड आसवनियों में परिवर्तित किए जाने की अनुमति।
प्रदेश में गैर शीरा पदार्थों (अनाज/आलू/चुकन्दर/स्वीट सोरगम/सोरगम स्टेम आदि अन्य पदार्थ/राॅ मैटेरियल) से पेय एवं औद्योगिक अल्कोहल उत्पादन हेतु नई आसवनी स्थापना की अनुमति प्रदान की जाएगी। नई दोहरी फीड आसवनियों की स्थापना की अनुमति प्रदान की जाएगी।
आसवनियों/यवासवनियों (ब्रेवरीज) की अनाज व अन्य राॅ मैटेरियल से अल्कोहल उत्पादन की क्षमता का विस्तार किए जाने, पूर्व से स्थापित आसवनियों को दोहरी फीड डिस्टिलरियों में परिवर्तित किए जाने एवं नयी आसवनियों/यवासवनियों (बे्रवरीज) की स्थापना की अनुमति कतिपय प्रतिबन्धों के साथ प्रदान की जाएगी।
इसके अन्तर्गत अनुमति के सम्बन्ध में प्राप्त आवेदन पत्रों को आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश द्वारा सम्यक परीक्षणोपरान्त अपनी संस्तुति के साथ शासन को प्रेषित किया जाएगा। आबकारी आयुक्त के स्तर से प्राप्त होने वाले सभी आवेदन पत्रों पर शासन स्तर पर विचार किए जाने हेतु अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, आबकारी विभाग की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा विचार किया जाएगा।
समिति द्वारा इकाई की आवश्यकतानुसार उसकी अधिष्ठापित क्षमता के निर्धारण, गैर शीरा पदार्थों (अनाज/आलू/चुकन्दर/स्वीट सोरगम/सोरगम स्टेम आदि)/राॅ मैटेरियल की उपलब्धता के आधार पर समस्त आवश्यक बिन्दुओं पर विचार करके अपनी संस्तुति उपलब्ध करायी जाएगी, जिस पर विभागीय मंत्री द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आसवनी की पेय/औद्योगिक क्षमता का निर्धारण भी समिति द्वारा किया जाएगा।
भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 14 जनवरी, 2021 को अनुक्रम में एथेनाॅल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश राज्य में स्थापित की जाने वाली आसवनियों हेतु भूमि की व्यवस्था, इन्वायरन्मेन्टल एवं अन्य प्रकार के क्लीयरेंस शीघ्र प्रदान किए जाने हेतु आबकारी आयुक्त, उ0प्र0 को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। भारत सरकार की अपेक्षानुसार उ0प्र0 में एथेनाॅल उत्पादन एवं ई0बी0पी0 के अन्तर्गत आपूर्ति को सुगम करने, अन्तर्विभागीय सामंजस्य स्थापित करने एवं उत्पादनकर्ताओं की कठिनाइयों का संज्ञान लेकर उन्हें दूर करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक स्टीयरिंग कमेटी गठित की जाएगी। भारत सरकार द्वारा अनाज से एथेनाॅल उत्पादन किए जाने हेतु निर्गत गाइडलाइन में समय-समय पर परिवर्तन करती रहती है। इस निमित्त अनाज से एथेनाॅल/अल्कोहल उत्पादन किए जाने हेतु निर्धारित व्यवस्था में संशोधन हेतु स्टीयरिंग कमेटी द्वारा ही विचार कर समुचित निर्णय लिया जाएगा।
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उ0प्र0 विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का
सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से कराने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से करा दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है।
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आई0टी0 पार्क की स्थापना हेतु आई0टी0आर0 कं0 लि0, बरेली की 8,000 वर्ग मीटर भूमि 10 करोड़ रु0 में आई0टी0 एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग, के पक्ष में विक्रय किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने आई0टी0आर0 कं0 लि0, बरेली की गाटा संख्या-277 स्थित 8,000 वर्ग मीटर भूमि को 12,500 रुपए प्रतिवर्ग मीटर की दर से कुल 10 करोड़ रुपए में आई0टी0 पार्क की स्थापना हेतु आई0टी0 एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग, उ0प्र0 शासन के पक्ष में विक्रय किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस हेतु स्टाम्प ड्यूटी एवं अन्य व्यय क्रेता आई0टी0 एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग, उ0प्र0 शासन द्वारा नियमों व शासनादेशों के आलोक में वहन किया जाएगा। उक्त भूमि के विक्रय के पश्चात् प्राप्त धनराशि के व्यय का विवरण एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र आयुक्त, बरेली मण्डल, बरेली/प्रबन्ध निदेशक, आई0टी0आर0 कं0 लि0, बरेली द्वारा शासन को उपलब्ध कराया जाएगा। यदि आई0टी0आर0 कं0 लि0, बरेली की प्रस्तावित भूमि के विक्रय से प्राप्त धनराशि, कम्पनी की देयताओं से अधिक प्राप्त होती हैं एवं कम्पनी की कोई अन्य देयताएं नहीं हैं, तो शेष धनराशि राजकोष में जमा की जाएगी।
आयुक्त, बरेली मण्डल, बरेली/प्रबन्ध निदेशक, आई0टी0आर0 कं0 लि0, बरेली द्वारा प्रश्नगत भूमि के राजस्व अभिलेखों की पुष्टि के उपरान्त अग्रेतर कार्यवाही की जाएगी।
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प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिए आवास (शहरी) मिशन
के अन्तर्गत अफोर्डेबुल रेन्टल हाउसिंग काॅम्प्लेक्सेस योजना
के प्रदेश में क्रियान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिए आवास (शहरी) मिशन के अन्तर्गत अफोर्डेबुल रेन्टल हाउसिंग काॅम्प्लेक्सेस योजना के प्रदेश में क्रियान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के तहत आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से प्रवासी शहरी गरीब मजदूरों के लिए ‘किफायती रेेन्टल आवास एवं काॅम्प्लेक्सेस’ (ए0आर0एच0सी0) की योजना का शुभारम्भ किया गया है। यह योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अन्तर्गत क्रियान्वित की जाएगी। यह शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए किराये के आवास परिसरों के निर्माण, संचालन और रख-रखाव के लिए निजी/सार्वजनिक संस्थाओं की भागीदारी को बढ़ावा देगी।
ए0आर0एच0सी0 को सभी वैधानिक शहरों में 2011 की जनगणना और बाद में अधिसूचित कस्बों, अधिसूचित योजना क्षेत्रों और विकास/विशेष क्षेत्र विकास/औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के क्षेत्रों में लागू किया जाऐगा। ए0आर0एच0सी0 के तहत परियोजनाएं प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिए आवास (शहरी) मिशन की अवधि मार्च, 2022 तक स्वीकृृति और वित्त पोषण के अनुमन्य होंगी। मिशन की अवधि के दौरान अनुमोदित परियोजनाओं हेतु फण्ड जारी करने और परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पृथक से 18 महीने का समय दिया जाएगा।
इस योजना में लाभार्थी शहरी प्रवासी/गरीब मजदूर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग के व्यक्ति, जिसमें फैक्ट्री में कार्य करने वाले मजदूर, प्रवासी मजदूर, शिक्षण संस्थाओं, सत्कार कार्याें से जुड़े लोग, पर्यटक एवं छात्र होंगे। योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विधवाओं और कामकाजी महिलाओं, दिव्यांग, अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित व्यक्तियों को वरीयता दी जायेगी, जो राज्य सरकार द्वारा प्राविधानित नियमों के अधीन होगी।
ए0आर0एच0सी0 के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार एवं आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके उपरान्त राज्य सरकार द्वारा सम्बन्धित विभागों को सभी आवश्यक प्रोत्साहन/लाभ के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये जाएंगे। दिशा-निर्देश के अनुसार योजना की आवश्यकता को पूरा करने वाली कोई भी एजेन्सी भाग ले सकती है और वह नगर निकाय के माध्यम से आवेदन कर सकती है।
ए0आर0एच0सी0 में साइट पर अवसंरचना विकास जैसे-आन्तरिक सड़कें, रास्ते, हरित क्षेत्र और खुली जगह, बाउण्ड्रीवाॅल, पानी की आपूर्ति, सीवरेज/सेप्टेज, ड्रेनेज, बाहरी विद्युतीकरण आदि को शामिल किया जाएगा। आवासों में अनिवार्य रूप से पानी की आपूर्ति, बिजली, रसोई और शौचालय शामिल होंगे। शयनगृृह में अलग बिस्तर/साइट टेबल, अलमारी, लाॅकर, रसोई और शौचालय की सामान्य सुविधाएं अनिवार्य होंगी।
ए0आर0एच0सी0 के तहत सभी परियोजनाओं को न्यूनतम 25 वर्ष तक केवल ई0डब्ल्यू0एस0/एल0आई0जी0 श्रेणी के शहरी प्रवासियों/गरीबों को किराये के आवास हेतु ही उपयोग किया जाएगा। यदि इस योजना के तहत किराये के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए ए0आर0एच0सी0 का उपयोग किया जाता है, तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियमानुसार, एजेन्सी के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा, एजेन्सी द्वारा प्राप्त सभी प्रोत्साहन/लाभ लागू ब्याज के साथ वसूल किया जाएगा।
ए0आर0एच0सी0 योजना के अन्तर्गत परियोजनाओं को विकसित करने हेतु प्रस्ताव स्थानीय निकाय द्वारा आवास बन्धु को उपलब्ध कराया जाएगा। आवास बन्धु ए0आर0एच0सी0 के दिशा-निर्देशानुसार प्रस्ताव का तकनीकी परीक्षण करते हुए भारत सरकार व राज्य सरकार स्वीकृति हेतु नोडल विभाग (सूडा) को अग्रसारित किया जाएगा।
यह योजना प्रदेश में 02 माॅडलों के अन्तर्गत क्रियान्वित की जाएगी। माॅडल 01 में भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित खाली मकानों को रियायत समझौते के माध्यम से ए0आर0एच0सी0 में परिवर्तित करना शामिल हैं। माॅडल 02 के अनुसार सार्वजनिक/निजी संस्थाओं द्वारा अपनी उपलब्ध खाली जमीन पर ए0आर0एच0सी0 का निर्माण, संचालन और रख-रखाव किया जाएगा। ए0आर0एच0सी0 के अन्तर्गत दोनों माॅडलों में स्वीकृति हेतु कोई भी प्रस्ताव आवास बन्धु के तकनीकी परीक्षण के बिना स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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