चित्रकूट  गाँव में बदलाव की बयार के साथ ही हर किसी के जीवन में खुशहाली लाने के लिए गॉडल गाँव बनाने की अनूठी पहल पर गभीरता से विचार चल रहा है । इसके पीछे सोच यह है कि अगर देश को विकसित और खुशहाल बनाना है तो सबसे पहले अपने गाँवों का नतुर्दिक विकास करना होगा क्योकि सही मायने में भारत गाँवों में ही बसता है । इसी सोच को साकार करने और इसे सही मायने में धरातल पर उतारने में आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से पूरी एक टीम दिन - रात काम कर रही है । इस नवप्रयोग के प्रेरक ( मेंटर ) आईएएस अधिकारी हीरा लाल ने भी एक खाका तैयार करने में जुटे हैं । जो कि गाँव के लोगों को तरक्की की राह दिखा सके । हीरा लाल का कहना है कि बांदा के जिलाधिकारी के कार्यकाल के दौरान वह मॉडल गाँव बनाने की पहल कर चुके हैं . जिसके सकारात्मक परिणामों से उत्साहित होकर उस नवप्रयोग को अब पूरे प्रदेश में लागू करने को कुछ संगठन और अधिकारी आगे आये है । इस पहल के तहत सर्वप्रथम गाँव घोषणा पत्र ( विलेज मेनिफेस्टो ) के माध्यम से लोगों को इस सोन के बारे में अवगत कराना है , जिसके जरिये गाँव में विकास का एजेंडा स्थापित कर और गेंज मेकर तैयार कर गाँव का सर्वांगीण विकास किया जा सके । इस तरह अभी पूरा जोर हर गाँव में विलेज मेनीफेस्टो को हर सदस्य तक पहुंचाने , हर गाँव में विलेज चेंज मेकर तैयार करने और हर गाँव स्तर पर किसान उत्पादक रागठन ( एफपीओ ) बनाने पर पूरा जोर है । क्या है गाँव घोषणा पत्र गाँव घोषणा पत्र का मुख्य उद्देश्य इसके माध्यम से गाँव में विकास का एजेडा स्थापित कर और नेजमेकर तैयार कर गाँव का सर्वागीण विकास करना है । इसके अलावा इसमे उन मूलभूत सुविधाओं को शामिल किया गया है , जो उसे मॉडल गाँव की श्रेणी में शामिल कर सके और गाँव खुशहाली ला सके । इन प्रमुख बिन्दुओं में शामिल हैं- गाँव की सफाई व्यवस्था चुस्त - दुरुस्त हो , गाँव में कोई भी अनपढ़ न हो , इलाज- दवा के साथ योगा की भी हो व्यवस्था , बिजली भरपूर मात्रा में मिले खासकर सोलर वाला गाँव बनाने पर जोर हो , पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की अच्छी व्यवस्था हो . रोजगार यानि सभी हाथ को काम पर जोर दिया जाए . गाँव में सवाद तत्र यानी आधुनिक इटरनेट की सुविधा हो , उत्पादों को बेचने की भरपूर और अच्छी व्यवस्था हो , गाँव में जैविक उत्पाद को प्राथमिकता मिले , गाँव को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर हो , विवाद रहित खुशहाली वाले गाँव की सोच विकसित की जाए , गाँव का नियम और लेखा का रखरखाव हो , गाँव का बायोडाटा - प्रोफाइल तैयार किया जाए , किसान उत्पादक संगठन ( एफपीओ ) बनाने पर जोर हो , प्रवासी ग्रामवासी संपर्क व सहायता की व्यवस्था हो और कुपोषण को खत्म करने पर जोर हो । इसके अलावा वृक्षारोपण ( मेड़ पर पेड़ ) पर जोर हो , खेल , कला व संस्कृति के विकास का ध्यान रखा जाए . महिला विकास पर जोर हो . प्रतिभा चयन व विकास की व्यवस्था हो .

रिपोर्ट संदीप द्विवेदी

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