*दो करोड़ की कंपोजिट ग्रांट में फंसे 541 प्रधानाध्यापक*


गोंडा। बेसिक स्कूलों को व्यवस्थाओं से संपन्न करने के लिए कंपोजिट ग्रांट दिया जाता है। इससे स्कूलों की रंगाई-पुताई के साथ ही अन्य जरूरी कार्य कराए जाते हैं। छात्र संख्या के आधार पर बजट जारी होता है और प्रधानाध्यापकों को कार्य कराकर उपभोग प्रमाण पत्र देना होता है।
जिलाधिकारी के स्तर से कराई गई जांच में पाया गया कि 541 प्रधानाध्यापक की ओर से उपभोग प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। इससे माना जा रहा है कि बिना काम कराए ही बजट निकाल लिया गया है। जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने एक सप्ताह में कार्य पूरा कराने के साथ पूरी रिपोर्ट बीएसए के माध्यम से मांगी है।


जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने बेसिक शिक्षा की योजनाओं की जांच कराई तो कंपोजिट ग्रांट में हेराफेरी का मामला सामने आया। उन्होंने जांच के आधार पर 541 प्रधानाध्यापकों को चेतावनी जारी की। जांच रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में कंपोजिट ग्रांट की राशि निकाल ली गई और मौके पर काम कराया ही नहीं गया।
जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित 541 प्रधानाध्यापकों को एक सप्ताह की मोहलत देते हुए चेतावनी दी है कि कंपोजिट ग्रांट की निकाली गई राशि के सापेक्ष कार्य पूरा कराएं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से रिपोर्ट दें। डीएम ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए हैं कि एक सप्ताह में कार्य पूरा न करने वाले प्रधानाध्यापकों के विरुद्ध सरकारी धन के गबन व धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराएं तथा विभागीय कार्रवाई भी शुरू करें।
डीएम के निर्देशों के बाद खेल शुरू
स्कूलों के कंपोजिट ग्रांट के लिए जिलाधिकारी के आदेश के बाद कई ब्लॉकों में खेल शुरू हो गया है। जिलाधिकारी ने तो चिह्नित 541 प्रधानाध्यापकों की रिपोर्ट मांगी है, लेकिन ब्लॉक स्तर पर सभी को पत्र जारी कर दिया गया है। चेतावनी पत्र जारी होने से ब्लॉकों में खलबली मच गई है। जिनका कार्य पूरा है उनसे भी रिपोर्ट मांगी जा रही है।


गोंडा से राघव राम तिवारी की रिपोर्ट।

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