NCR News:अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिसमें सैटेलाइट में ईंधन के रूप में पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। नासा के वैज्ञानिकों ने जूते के डिब्बे के आकार के ऐसे छोटे सैटेलाइट का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है, जिसमें ईंधन के लिए पानी का इस्तेमाल किया गया है। नासा के इस पाथफाइंडर टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर (पीटीडी-1) के प्रोजेक्ट मैनेजर डेविड मायर ने भास्कर को इस बारे में विस्तार से बताया-रॉकेट में क्यूबसेट डिस्पेंसर फिट किया जाता है जो क्यूबसेट को लॉन्च करता है। मौजूदा प्रोजेक्ट में इसका आकार बड़े जूते के डिब्बे जितना (10X10X10 सेंटीमीटर) है। लॉन्च होते ही इसका पंख खुल जाता हैं, जिन पर सोलर पैनल लगे हैं। ईंधन के रूप में इसमें आधा लीटर पानी होता है।सौर ऊर्जा से पानी में इलेक्ट्रोलाइसिस करके पानी को दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन मॉलीक्यूल में तोड़ा जाता है। ज्वलनशील होने से हाइड्रोजन, ऑक्सीजन दोनों अच्छे ईंधन हैं। यह साफ, सुरक्षित और बहुत सस्ता भी है।

एक बार रॉकेट उड़ाकर कई सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े जा सकें। वे हाइड्राजिन जैसे विषैले ईधन की जगह पानी जैसे साफ ईंधन से धरती की परिक्रमा कर सकें इसकी संभावना परखने के लिए इस साल जनवरी में पीडीटी प्रोजेक्ट लांच किया गया जो सफल रहा। क्यूब नुमा होने से इनको क्यूबसेट कहते हैं।आधा लीटर पानी में ये चार महीने धरती की परिक्रमा कर सकते हैं। फिलहाल इनके प्रदर्शन का मूल्यांकन हो रहा है। इस मिशन में तीन और सैटेलाइट भेजे गए हैं जो कॉफी मग जितने बड़े हैं।

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