लखनऊ ||हम यूपी को 24 घंटे बिजली देने का अभियान चला रहे हैं। 15% से नीचे लाइन लॉस लाइये और 24 घंटे बिजली पाइए। केवल यही नहीं जर्जर तार बदले जाएंगे व ट्रांसफार्मरों की क्षमता भी 40% ज्यादा बढ़ाएंगे। बिजली मूलभूत आवश्यकता है।

अब किसान को सिंचाई के लिए रात भर नहीं जागना पड़ता। डीजल पर निर्भरता की कम हुई है। दिन में 10 घंटे सस्ती बिजली मिलती है। इससे लागत कम हुई है।

 ऊर्जा विभाग 90 हजार करोड़ के घाटे में है। फिर भी गरीब और किसान को सस्ती बिजली दे रहे हैं। किसानों से हम लागत का केवल 18% दाम लेते हैं, लाइफ लाइन उपभोक्ताओं से हम लागत का आधा दाम लेते हैं। ऊर्जा विभाग में चल रहे सुधारों और जनसहयोग से आने वाले वर्षों में पूरे प्रदेशवासियों को सस्ती बिजली मिलेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 25% व शहरी क्षेत्रों के 75% उपभोक्ता बिजली का बिल देते थे। इसका एक कारण समय से बिजली का सही बिल न पहुंचना है। हमने इसी को लेकर अभियान चलाया है, प्रदेश के हर उपभोक्ता को सही बिल समय पर मिले। हमने कारपोरेशन  को स्पष्ट किया हुआ है कि अब ऐसा नहीं चलेगा, ईमानदार उपभोक्ता पर हम बिजली के बढ़े दामों का भार नहीं डाल सकते। हमने 2 साल से बिजली के दामों में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं की है।

आज बिजली की उपलब्धता की दृष्टि से यूपी सरप्लस स्टेट है। 2032 तक मांग के सापेक्ष आपूर्ति कि व्यवस्था हमने पहले ही की हुई है। मंहगी बिजली का एक प्रमुख कारण पूर्व की सरकारों की आर्थिक अनियमितताएं हैं। पूर्व की सरकारों के महंगे पीपीए के कारण यहां बिजली के दाम अधिक हैं। बिना बिजली लिए भी हमें 4800 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों को देने पड़ते हैं। 

आज हम फीडर सेपरेशन पर काम कर रहे हैं ट्यूबवेल के लिए अलग लाइन बना रहे हैं। गांव की बिजली की लाइन भी अलग कर रहे हैं, जिससे गांवों में भी 24 घंटे की आपूर्ति हो सके। पहले की व्यवस्था को हमने बदला है। आज शिफ्ट वाइज बिजली की आपूर्ति नहीं होती है। हम 18 घंटे निर्बाध बिजली दे रहे हैं। हमने पिछली सरकारों के मुकाबले 54% ज्यादा बिजली गांवों को मुहैया कराई है। आज सूर्यास्त के बाद सूर्योदय तक गांव में बिजली की कटौती नहीं हो रही है। हमने प्रतिभा पलायन को रोका है। यूपी का टेलेंट यूपी में रहे इसके लिए हमने बिजली की आपूर्ति व्यवस्था में व्यापक बदलाव किया है।

 गांव के ट्रांसफार्मर फुंकते हैं तो टोल फ्री नम्बर 1912 पर उपभोक्ता फोन लगाता है और 48 घंटे के भीतर ट्रांसफार्मर बदले जाते हैं। अब किसानों और गांव वालों को ट्रांसफार्मर बदलवाने के लिए महीने भर प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। भविष्य में हम प्रीपेड व्यवस्था में जा रहे हैं जिससे लोगों को और अधिक सहूलियतें मिलें।

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