गन्ने के रस एवं शुगर सीरप से एथनाॅल का उत्पादन किये जाने
का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित
एथनाॅल आपूर्ति में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर
लखनऊ, दिनांकः 22 फरवरी, 2021
मंत्रिपरिषद ने गन्ने के रस एवं शुगर सीरप से एथनाॅल का उत्पादन किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में गन्ने के रस एवं शुगर सीरप से एथनाॅल का उत्पादन किये जाने हेतु मार्ग दर्शी सिद्धान्त निर्धारित कर दिया है।
1. इस प्रस्ताव के अनुमोदन से भारत सरकार के महत्वाकांक्षी ई.बी.पी. प्रोग्राम के अन्तर्गत पेट्रोल में एथनाॅल मिलाये जाने हेतु जहां एक तरफ एथनाॅल की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं दूसरी तरफ गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य के भुगतान में मदद मिलेगी। प्रदेश में गन्ने के उत्पादन में वृद्धि की दशा में केन जूस एवं शुगर सीरप से एथनाल का निर्माण किया जाना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वूपर्ण है।
2. देश में अधिक चीनी अवशेष स्टाॅक से चीनी की दरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ई.बी.पी. प्रोग्राम के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा गन्ने के रस एवं शुगर सीरप से उत्पादित एथनाॅल का मूल्य रू0 62.65 प्रति लीटर दिसम्बर 2020 से प्रारम्भ एथनाॅल आपूर्ति वर्ष से निर्धारित किया गया है, जबकि सी-हैबी शीरा से उत्पादित एथनाॅल का मूल्य रू0 45.69 प्रतिलीटर निर्धारितहै। केन जूस से एथनाॅल उत्पादन से चीनी का उत्पादन कम होगा एवं एथनाॅल की लाभदायक मूल्य से चीनी उद्योग की आर्थिक स्थिति मंे और सुधार होगा।
3. चीनी मिल जिनकी परिसर में आसवनी इकाई भी कार्यरत है, में सम्पूर्ण पेराई क्षमता को केन जूस एवं शुगर सीरप से एथनाॅल बनाये जाने के लिए उपयोग किये जाने हेतु अनुमन्य किया गया है।
4. टैंकर से केन जूस के परिवहन के दौरान केन जूस में कैन्टामिनेशन होने की प्रबल सम्भावना होने के कारण ऐसी आसवनियाॅं जिनकी अपनी सहोदर चीनी मिल नही है, उन्हें केन जूस से एथनाॅल निर्माण किये जाने की अनुमति अनुमन्य नहीं होगी।
5. केन जूस से उत्पादित एथनाॅल का प्रयोग केवल पेट्रोल में मिश्रण के लिए ही किया जायेगा।
6. केन जूस एवं शुगर सीरप से एथनाॅल बनाये जाने की दशा में संबंधित मिल में गन्ना पेराई की उस मात्रा विशेष से चीनी एवं शीरे का उत्पादन नहीं होगा। अतः गन्ना मूल्य भुगतान कराने हेतु एथनाॅल उत्पादन हेतु प्रयोग किये गये केन जूस या शुगर सीरप के उत्पादन हेतु प्रयुक्त गन्ना पेराई की मात्रा पर चीनी के स्थान पर, उत्पादित किये गये एथनाॅल को टैग किये जाने की बाध्यता होगी। आसवनी इकाईयों को भी चीनी मिलों की भांति गन्ने के आवंटन एवं गन्ना मूल्य के भुगतान के संबंध में समय-समय पर निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।
7. राज्य सरकार द्वारा पूर्व में बी-हैबी शीरा से एथनाॅल का उत्पादन अनुमन्य किया गया। इस वर्ष 40 से अधिक आसवनियां द्वारा बी-हैबी शीरा से एथनाॅल उत्पादन किया जा रहा है जिससे प्रदेश में एथनाॅल के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृृद्वि हुई है। एथनाॅल आपूर्ति से देश में प्रदेश का प्रथम स्थान है।
मंत्रिपरिषद द्वारा उपरोक्तानुसार अनुमोदित प्रस्ताव से जहां चीनी मिलों को इस बात की स्वायत्तता होगी कि वेवायबिलिटी एवं गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान हेतु गन्ने के रस से एथनाॅल अथवा चीनी का निर्माण कर विक्रय कर सकते हैं। यह प्रस्ताव भारत सरकार के एथनाॅल ब्लेन्डिंग प्रोग्राम को बढ़ावा देगा तथा चीनी मिलों की आय बढ़ने से गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान आसानी से किया जा सकेगा।
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