*हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम मनाया गया बसंत पंचमी का महापर्व*

*जिला पंचायत सदस्य राजन सिंह को अंग वस्त्र वस्त्र राधा कृष्ण की स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया*



जरवल बहराइच हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम मनाया गया बसंत पंचमी का महापर्व जिसमें मुख्य अतिथि रहे जिलापंचायत सदस्य राजन सिंह

जिला पंचायत सदस्य राजन सिंह ने कहा शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। इस दिन को होली के शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है, जो कि इसके 40 दिन बाद आती है। वहीं इस दिन को विद्या की देवी माता सरस्वती के प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं।मां सरस्वती के अलावा कई जगह पर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। 

जिला पंचायत सदस्य राजन सिंह ने कहा
इस दिन सभी लोग जो माता सरस्वती की पूजा करते है, वो अपने कलम और किताबों को पूजते है, क्योंकि ये सभी हमें ज्ञान प्राप्त करने में सहयोग करती है।माता सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। माँ सरस्वती की पूजा करने से अज्ञान भी ज्ञान का दीप जलाता हैं। इस दिन लोग अपने घरों में पील रंग के व्यंजन बनाते है, कुछ पीले रंग के चावल बनाते है तो कुछ केसर का उपयोग करते है।

हिंदू युवा वाहिनी ब्लॉक उपाध्यक्ष कैलाश नाथ राना ने कहा विद्वानों का मानना है कि माता सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के मुख से हुआ था जो खुद कमल पुष्प पर विराजमान है और उनके हाथो में पुस्तक और दंड रहते है। कथा के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा जी ने संसार की उत्त्पत्ति की तो पेड - पौधे एवं सब जीव - जंतु होने के बाद भी यहां पर बहुत शांति थी, तो ये सब देखते हुए भगवान श्री विष्णु जी ने भगवान श्री ब्रह्मा जी से आग्राह किया की प्रभु ऐसे सब ठीक नही लग रहा सब शांत-शांत है, फिर भगवान श्री ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की बात को स्वीकार की, फिर महा सरस्वती से माता सरस्वती जी की उत्पत्ति हुई और उसके बाद से ही इस संसार में सबके पास सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति हुई। माता सरस्वती को ज्ञान के साथ साथ साहित्य, संगीत की देवी भी कहा जाता है।

यह त्योहार भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में भी बड़े धूम-धाम से मनया जाता है। बसंत ऋतु में मानो पूरी प्रकृति पीली रंग की चादर से ढक जाती है। खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है। वहीं जौ और गेंहू की बालियां खिलने लगती हैं तो आम के पेड़ों में बौर आ जाती है और चारों ओर रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगती हैं।

समाजसेवी सूर्य लाल उर्फ कल्लू ने कहा विद्यार्थियों को सफल कॅरियर का वर देती हैं मां सरस्वती...

मां सरस्वती की पूजा विद्यार्थियों के लिए बहुत खास है,क्योंकि देवी सरस्वती प्रसन्न हुईं तो विद्यार्थियों का कॅरियर संवर जाता है।


*बसंत पंचमी का महत्व*

बसंत पंचमी का संबंध ज्ञान और शिक्षा से है। कई लोगों का मानना है कि इस दिन विद्या, कला, विज्ञान, ज्ञान और संगीत की देवी, माता सरस्वती का जन्म हुआ था। अतः इस दिन भक्त सरस्वती पूजा करते हैं, सरस्वती मंत्र का जाप करते हैं और देवी के मंदिरों में जाकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं। विद्यार्थी इस दिन अपनी पुस्तक एवं कलम की पूजा करते हैं।

पंडित अशोक मिश्रा  अन्ना के अनुसार देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पपीते और केले के फल का दान करना चाहिए। इस दिन अपने गुरु से आशीष लेना ना भूलें। उन्हें पीले रंग का कपड़ा दान करें।

विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। धूप-दीप जलाएं और उन्हें पीले रंग का फूल चढ़ाएं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वो मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने पीले रंग के कागज पर लाल रंग की कलम से ग्यारह या इक्कीस बार मां सरस्वती का ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र लिखें। ज्ञान की देवी, माँ सरस्वती को पीला रंग काफी प्रिय है।
इस मौके पर आशुतोष राना, रामसमुझ यादव, शिवम यादव, राजकुमार यादव, राजकिशोर राना, संजय प्रजापति, रूप नारायण यादव, जीवन लाल यादव सत्येंद्र वर्मा, महेश टाइल्स ठेकेदार, पंकज अग्रवाल, जितेंद्र कुमार,पवन कुमार राजू जगदीश प्रसाद कनौजिया,पिंटू भारती, उत्तम वर्मा, गुलशन राव आदि लोग मौजूद रहे।



 संवाददाता रूप नारायण यादव  कैसरगंज जिला बहराइच*

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