रिपोर्ट - सूरज कुमार शुक्ला गोंडा 
आज ग्राम तीर्रे मनोरमा पंडित पुरवा में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा में भगवान जन्म की कथा में, कथा व्यास डॉ सन्त शरण त्रिपाठी ने मंडल अध्यक्ष सत्यव्रत ओझा को माल्यार्पण कर स्वागत किया तत्पश्चात कथा व्यास ने भगवान जन्म के बारे में बताया कि चन्द्र वंश में प्रतापी शूरसेन जी के पुत्र वासुदेव का विवाह मथुरा नरेश उग्रसेन महाराज के भाई देवक की पुत्री देवकी से हुआ, और देवकी के सातवें पुत्र के रूप में संकर्षण भगवान रोहिणी माता के गर्भ से प्रकट हुई तथा आठवें गर्भ से भगवान श्री मन नारायण जी का अवतार हुआ अवतार का शाब्दिक अर्थ ही उतरना है जब भगवान अपने भक्तों के लिए अपना भूलोक छोड़कर उतरते हैं अर्थात कृपा करके धरा धाम पर आते हैं तो उसे भगवान का अवतार कहा जाता है इसी प्रकार मथुरा के कारागार में चतुर्भुज के रूप में पधार कर माता देवकी की आज्ञा पाकर शिशु रूप में हो गए वसुदेव जी ने भगवान को गोकुल नंद बाबा के घर पहुंचाया भगवान को सिर पर धारण करते ही उनकी हथकड़ी और बेड़ी टूट गई इसका अर्थ ही हम भगवान को अपना बना कर चले तो बंधन टूट जाएंगे और माता रूपी कन्या को लेकर आए तो पुनः बंधन में बंध गए नंदोत्सव में भक्तों ने खूब मंगल गाया और आनंद प्राप्त किया इस मौके पर मंडल अध्यक्ष सत्यव्रत ओझा के साथ मंडल मंत्री अजय राठौर, सुशील द्विवेदी सुनील तिवारी,मुन्ना तिवारी, गोली लंबरदार व डॉक्टर शिवानंद पांडे सहित सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित रहे.
रिपोर्ट - सूरज कुमार शुक्ला गोंडा 

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