जौनपुर। वाराणसी-जौनपुर मार्ग पर लहंगपुर के पास हुए हादसे के बाद जलालपुर गांव में हर तरफ कोहराम मचा था। गांव में चारों तरफ बस महिलाओं के रोने-बिलखने की आवाज ही सुनाई दे रही थी। दर्दनाक हादसे ने किसी की मांग का सिंदूर मिटा दिया तो किसी के बुढ़ापे की लाठी तोड़ दी। मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया। सुध-बुध खोकर वह बार-बार अपने प्रियजनों का नाम पुकार रहे थे। नियति के इस क्रूर खेल को कोस रहे थे। हृदय विदारक मंजर से हर किसी की आंखें भरी हुई थीं। हादसे में जान गंवाने वाले अमर बहादुर(55) और समर बहादुर (45) सगे भाई थे। दोनों का परिवार अलग-अलग रहता है। समर बहादुर के परिवार में पत्नी शीतला देवी और पुत्र यश(6) हैं। शीतला देवी दहाड़े मारकर रो रही थी। पति को पुकारते हुए वह पूछ रही थीं कि किसके भरोसे उन्हें छोड़कर चले गए। अब आगे की जिंदगी कैसे कटेगी। मां के साथ बेटा यश भी बिलख रहा था। पास-पड़ोस के लोग उसे ढांढ़स बंधाने में जुटे थे, मगर इस मंजर के सामने वह खुद को भी बेबस पा रहे थे। अमर बहादुर की पत्नी इंद्रावती देवी का रो-रोकर बुरा हाल था। पांच बेटों में विजय, दिनेश, रमेश बाहर रहते हैं। घर पर मौजूद ललई और महेश हादसे की खबर मिलते ही जिला अस्पताल चले गए थे। वहां पहुंचने पर उन्हें पिता के मौत की खबर मिली तो बदहवास हो गए। दलश्रृंगार के परिवार में भी पत्नी प्रमिला और तीन बेटे अमित, मनीष रमित हैं। हादसे में चौथे मृतक रामकुमार (65) की पत्नी कुटुरा की छह वर्ष पहले मौत हो गई थी। तीन बेटे रामजीत, लालजीत और अमरजीत बाहर रहकर रोजगार करते हैं। पिता के मौत की खबर पाकर वह घर के लिए रवाना हो गए थे। बेटी सुशीला पिता के गम में बेसुध थी। दोपहर तक गांव में सिर्फ महिलाएं और छोटे बच्चे ही थे। पुरुष सदस्य शव लाने पोस्टमार्टम हाउस गए थे या फिर घायलों के उपचार के लिए अस्पताल में थे।
ब्यूरो अमित कुमार श्रीवास्तव जौनपुर


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