अमावस्या से दो दिन पहले इसलिए आ गईं ताकि मेले के दिन वाहनों का प्रवेश रोकने से उन्हें परेशानी न हो। वह बोलीं कि महामारी का कोई डर नहीं है, बस गंगा मइया ने बुलाया और हम आ गए। सुबह 10 बजे ही काली सड़क अन्नपूर्णा मार्ग, संगम लोअर मार्ग, त्रिवेणी मार्ग पर जत्थों में श्रद्धालु पुलिस व दूसरे कर्मचारियों से शिविरों का पता पूछते रहे। सभी को एक ही ललक थी कि दो दिन संगम किनारे रहेंगे और मौनी अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगाएंगे।

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