रामराज्य का अर्थ सिर्फ मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम का शासन काल नहीं है। रामराज्य सुशासन की वृहद व्यवस्था का प्रतिनिधि शब्द है। एक ऐसी शासन व्यवस्था जिसमें सबको न सिर्फ अपने अधिकारों अपितु दूसरों के कर्तव्यों का भी बोध हो। कर्तव्य के आधार पर अधिकार का निर्धारण रामराज्य की सबसे बड़ी शक्ति है। बीएचयू में नई पीढ़ी को उस कर्तव्य बोध से श्रीराम शोध पीठ के माध्यम से परिचित कराया जाएगा।

बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में श्रीराम शोध पीठ का प्रस्ताव किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य रामराज्य के विविध आयामों पर शोध को प्रोत्साहित करना है। साथ ही साथ संगोष्ठियों एवं शैक्षणिक सत्रों के माध्यम से इस विषय पर व्यापक विमर्श होगा। काल विशेष की वैचारिकी, सांस्कृतिक सम्पन्नता, कला एवं शिल्प, सामाजिक न्याय व्यवस्था, जनधन का संयोजन, कृषि प्रणाली, आर्थिक विनिमय, राजतंत्र में लोकतंत्र का समावेश, वर्ण व्यवस्था, व्यक्ति के धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्तव्य, रक्षा प्रणाली, शिक्षण व्यवस्था, नारी विमर्श, तकनीकी सम्पन्नता आदि विषय शोधपीठ के माध्मय से होने वाले विमर्शों का हिस्सा होंगे। सूत्रों के अनुसार श्रीराम शोध पीठ के संबंध में प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पूर्व शुक्रवार को संकाय स्तर पर विचार विमर्श हुआ। 

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