लखनऊ ||अवैध खनन के जरिए काली कमाई बटोरना यूपी के अफसरों का शगल बन गया है. ताजा मामला रिटायर्ड आइएएस अफसर सत्येंद्र सिंह का है. नियमों को ताक पर रखकर खनन के पट्टे आवंटित करने के मामले में फंसे रिटायर्ड आइएएस अफसर सत्येंद्र सिंह समेत 10 आरोपियों के ठिकानों पर 2 फरवरी को छापे मारकर सीबीआई ने करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए. सीबीआई ने लखनऊ, प्रयागराज और कौशांबी में नौ ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की. पूर्व आइएएस अफसर के लखनऊ स्थित आवास से दस लाख रुपये नकद, करोड़ों की कीमत की 44 अचल संपत्ति के दस्तावेज, 51 लाख की एफडी व बैंक लॉकरों से 2.11 करोड़ कीमत के जेवर बरामद हुए हैं. सीबीआई अफसरों के अनुसार, सत्येंद्र पर वर्ष 2012 से 2014 में कौशांबी का डीएम रहने के दौरान खनन के पट्टों के आवंटन में अनियमितता बरतने का आरोप है. सत्येंद्र ने शासनादेशों को नजरअंदाज कर खनन के 2 नए पट्टे आवंटित करने के अलावा 9 पुराने पट्टों का नवीनीकरण कर दिया. इसमें ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. सीबीआई इस मामले में तथ्य जुटा रही थी और आरोपों की पुष्टि होने के बाद छापामारी की कार्रवाई की गई. इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर हाइकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. सीबीआई ने सत्येंद्र समेत 10 नामजद के अलावा कई अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था.
सत्येंद्र अगर पिछली सपा सरकार के चहेते अफसर थे तो वर्तमान में भाजपा सरकार के अफसर भी खनन के जरिए अवैध कमाई करते पकड़े गए हैं. महोबा के क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में भगोड़ा घोषित हो चुके पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार की तलाश में महोबा की आठ टीमों के साथ एसटीएफ भी पिछले करीब पांच महीने से हर संभावित स्थान पर दबिशें दे रही हैं. क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार पर छह लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए सात सितंबर को सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया था. आठ सितंबर को उनके गले में गोली लग गई थी और 13 सितंबर को उनकी मौत हो गई थी. मामले में मृतक के भाई रविकांत ने पूर्व एसपी, पूर्व एसओ, सिपाही और दो व्यापारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. एसआइटी की जांच में आत्महत्या का मामला सामने आने पर आत्महत्या के लिए उत्प्रेरित करने की धाराएं जोड़ी गई हैं. इस मामले में चार आरोपी जेल जा चुके हैं, पूर्व एसपी की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो सकी है. पाटीदार पर इनाम की राशि 50 हजार की जा चुकी है. क्रशर कारोबारी इंद्रकात त्रिपाठी मामले में फिलहाल पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार फरार चल रहे हैं. पुलिस जांच में मानीलाल पाटीदार की खनन के जरिए अवैध कमाई का भी ब्योरा मिला है.
वर्ष 2017 में सीबीआई ने खनन घोटाले में फंसे यूपी के कई अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. अब तक सीबीआई कुल आठ आइएएस अफसरों के खिलाफ खनन घोटाले में केस दर्ज कर चुकी है. बुलंदशहर के डीएम रहे अभय के घर पर सीबीआई ने जुलाई 2019 को छापा मारा था. सीबाआई को अभय के घर से 47 लाख रुपए नकद मिले थे जिसका वह हिसाब नहीं दे पाए थे. सीबीआइ और ईडी दोनों संस्थाएं मुकदमा दर्ज कर अभय की भूमिका की जांच कर रही हैं. सीबीआई की कार्रवाई वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक यूपी में हुए खनन घोटाले की जांच के क्रम में की गई थी. अभय पर फतेहपुर का डीएम रहते अवैध खनन पट्टे देने का आरोप है. इसी दौरान हमीरपुर की जिलाधिकारी रहीं बी. चंद्रकला भी खनन घोटाले की मुख्य आरोपियों में से एक हैं. चंद्रकला के ठिकाने पर भी सीबीआई छापा मार चुकी है. देवरिया में डीएम रहे विवेक पर भी अवैध ढंग से खनन का पट्टा देने के आरोप में सीबीआई जांच कर रही है. सपा सरकार में देवीशरण उपाध्याय एडीएम के पद पर तैनात थे. खनन घोटाले में यह भी आरोपी हैं. सीबीआई इनके घर पर छापा मारकर 10 लाख रुपए बरामद कर चुकी है. इसी तरह जीवेश नंदन सपा सरकार में खनन विभाग के प्रमुख सचिव थे. सीबीआई ने इन्हें भी खनन घोटाले में नामजद किया है. इसी तरह सपा सरकार में विशेष सचिव खनन संतोष राय भी सीबीआई के निशाने पर हैं. बुंदेलखंड में अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वयंसेवी ब्रजमोहन यादव बताते हैं, “यूपी में खनन में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. अधिकारी और खनन माफिया गठजोड़ को तोड़ पाने में हर सरकार विफल साबित हुई है.”
यूपी में अवैध खनन रोकने के लिए खनन निदेशक रोशन जैकब ने कई स्तरों पर प्रयास शुरू किए हैं. सभी चालू खदान में निगरानी के लिए “वेब्रिज इंफारमेंशन सिस्टम”, दो तरफ से फोटो खींचने वाला कैमरा के साथ हर खदान के अंतिम सिरे पर पीटीजेड कैमरा लगाया गया है. खनन विभाग ने मिनरल ट्रांसपोर्ट में लगीं करीब 40 हजार गाड़ियों को रजिस्टर्ड किया. अभी इन गाड़ियों में आरएफआइडी टैग लगाने का कार्य चल रहा है. इससे इन गाड़ियों की पूरी निगरानी होगी कि वे कहां-कहां और कब जा रही हैं. खनन की गाड़ियों की चेकिंग के लिए प्रदेश में पांच जगहों पर कैमरा, सेंसर और आरएफआइडी रीडर युक्त “आटोमेटेड चेक गेट” बनाने का काम यूपी डेस्को के जरिए कराया जा रहा है. इससे यह पता चल जाएगा कि खनन में लगी जो गाड़ी जा रही है उसमें रवन्ना है कि नहीं, एक ही रवन्ना कई बार तो नहीं प्रयोग हो रहा है, एक गाड़ी के लिए जारी रवन्ना पर दूसरी गाड़ी तो नहीं पास हो रही है, जिस गाड़ी में रवन्ना नहीं है उसमें मिनरल तो नहीं लदा है. खनन में लगी गाड़ियों में ओवरलोडिंग एक बड़ी चुनौती थी. पहले ओवरलोडिंग करने वाली गाड़ियों के पकड़े जाने पर ड्राइवर के खिलाफ एफआइआर या गाड़ी पर जुर्माना कर दिया जाता था. खनन विभाग ने अब नई व्यवस्था लागू की है. इसके अनुसार अगर खदान के मुख पर गाड़ी ओवरलोडेड मिली तो पट्टाधारक पर भारी जुर्माना किया जाएगा. बिना रवन्ना के गाड़ी निकलने पर ट्रांसपोर्टर के अलावा माइनर पर भी एफआइआर होगी. सभी खदानों की ऑनलाइन निगरानी के लिए लखनऊ के गोखले मार्ग पर मौजूद खनिज भवन में एक कमांड सेंटर भी बनाया गया है.
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