*क्या होते हैं गुप्त नवरात्र*?
12 फरवरी 2021 से 21 फरवरी 2021 शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से माघ शुक्ल पक्ष के नवमी गुप्त नवरात्रि आरंभ ज्योतिष गुरु महावीर शर्मा भिलाई दुर्ग के अनुसार https://www.youtube.com/playlist?list=PLU2ABeFtyC_WU8beE9zVc84TWQBZlyxZH जय माता दी ......जोर से बोलो.... Subscribe करे/ अधिक जानकारी के लिए विडियो देखे आप सभी
चैत्र और शारदीय नवरात्र की तुलना में गुप्त नवरात्र में देवी की साधाना ज्यादा कठिन होती है. इस दौरान मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाती है इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। अधिकांश लोग वर्ष की दो नवरात्रियों के बारे में ही जानते हैं। ये नवरात्रियां चैत्र और शारदीय नवरात्रि कहलाती हैं, लेकिन इन दो के अलावा दो और नवरात्रियां होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है जिनमें मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है. तंत्र विद्या में आस्था रखने वाले लोगों के लिए यह नवरात्र बहुत महत्व रखते हैं. इन नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है.
गुप्त नवरात्रि के व्रत के लिए एक प्रचलित कथा
एक समय ऋषि श्रृंगी अपने भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे और वहां एक परेशान स्त्री भीड़ से आई और अपनी व्यथा ऋषि को सुनाने लगी। उसने बताया कि उसके पति हमेशा बुरे कर्मों से घिरे रहते हैं। इसी कारण से वो भक्ति नहीं कर पाती है। धर्म के किसी कार्य में उसके पति साथ नहीं देते हैं और ना ही उसे करने देते हैं। पति के कर्मों से परेशान स्त्री ने ऋषि श्रृंगी को बताया कि वो ऋषियों के हिस्से का निकाला हुआ अन्न भी उन्हें समर्पित नहीं कर पाती है। स्त्री ने बताया कि उसका पति मांस का सेवन, जुआ खेलता है, लेकिन मैं मां दुर्गा की भक्त हूं और उनका पूजन करना चाहती हूं और भक्ति-साधना से अपने परिवार के कर्मों को सुधारना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी स्त्री के इस आचरण से प्रसन्न होते हैं और उस उपाय बताते हुए कहते हैं कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों को हर कोई जानता है, लेकिन माघ और आषाढ़ माह के नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। देवी दुर्गा की आराधना इन नौ दिनों में गुप्त रुप से की जाती है।
ऋषि ने बताया कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों का पूजन किया जाता है और गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना होती है। गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवी स्वरुप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। इन नवरात्रों में की गई माता की आराधना से व्यक्ति का जीवन सफल हो सकता है। ऋषि ने बताया कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ नहीं करने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रि में माता की पूजा करता है तो उसके जीवन के सभी पाप माफ हो जाते हैं। स्त्री ने ऋषि द्वारा बताए गए उपायों से विधि पूर्वक गुप्त नवरात्रि में पूजन किया और इसके बाद उसका पापी पति धर्म के रास्ते पर चलने लगा और उसके परिवार में सुख-शांति रहने लगी।
गुप्त नवरात्रि की देवियां : -
गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी का पूजन करते हैं।
गुप्त नवरात्रि का महत्व : -
देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेष कर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए खास दिन जो साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए गुप्त नवरात्रि के दिन बेहद खास होते हैं। इनमें वे साधक गुप्त स्थान पर रहते हुए देवी के विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं।
भोग-विलास के साधन गृहस्थ साधक जो सांसारिक वस्तुएं, भोग-विलास के साधन, सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन पाना चाहते हैं उन्हें इन नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए। यदि इतना समय न हों तो सप्तश्लोकी दुर्गा का प्रतिदिन पाठ करें। देवी को प्रसन्न करने के लिए और साधना की पूर्णता के लिए नौ दिनों में लोभ, क्रोध, मोह, काम-वासना से दूर रहते हुए केवल देवी का ध्यान करना चाहिए। कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा, वस्त्र भेंट करें।
कब मनाए जाते हैं गुप्त नवरात्र?
गुप्त नवरात्र साल में दो बार आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाए जाते हैं. तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले लोग इस दौरान तंत्र साधना करते हैं. जैसे चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मां दुर्गा के नौं रूपों की पूजा नियम से की जाती है वैसे ही इन गुप्त नवरात्रों में विशेष लक्ष्य प्राप्ति के लिए साधना की जाती है. इन नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना का महत्व है.
गुप्त नवरात्र में कैसे करें देवी की आराधना ?
प्रकट नवरात्रि की तरह गुप्त नवरात्रि में भी पूजा और पूजा विधि का महत्व माना जाता है। इसमें भी सबसे पहले दिन के समय घट स्थापना की जाती है, लेकिन प्रकट नवरात्रि में पूजा का समय दिन का होता है और गुप्त नवरात्रि में विशेष रुप से रात्रि में पूजन किया जाता है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में तांत्रिक शक्तियों को बढ़ावा दिया जाता है। इन नवरात्रि में नौ दिन पूजा-पाठ करने के बाद अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को भोज करवाया जाता है।
बाकि नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र में देवी की पूजा की जाती है:
- पहले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए कलश की स्थापना करनी चाहिए.
- घर के मंदिर में अखंड ज्योति जलाएं.
- सुबह-शाम मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
- अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत का उद्यापन करें.
- नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशति का पाठ करना चाहिए. समय की कमी हो तो सप्त श्लोकी दुर्गा पाठ करना चाहिए.
- तंत्र साधना करने वाले साधक गुप्त नवरात्र में माता के नौ रूपों की बजाए दस महाविद्याओं की साधना करते हैं.
कैसे करें कलश स्थापना?
- घर के मंदिर में घी का दीपक जलाने के बाद शुद्ध मिट्टी रखें. मिट्टी में जौं डालें और पवित्र जल का छिड़काव करें.
- मिट्टी के ऊपर पीतल, तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर रखें.
- कलश में सिक्के डालें और उसके चारों ओर मौली बांधें. पुष्प माला चढ़ाएं.
- कलश को ढक कर आम के पांच पत्ते रखें.
- लाल कपड़े में नारियरल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें.
- इसके बाद कलश पर सुपारी, साबुत चावल छिड़कें और मां दुर्गा का ध्यान करें.
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