*भागबत कथा के सातवें दिन कृष्ण सुदामा की कथा का बर्णन किया गया*
जालौन।हीरापुरा के हनुमान मंदिर पर आयोजित सात दिवसीय श्री मद भागवत कथा सातवें दिन श्री कृष्ण और सुदामा चरित्र का बर्णन कथा व्यास ने बैठे श्रोत्राओ को श्रवण कराई।कृष्ण और सुदामा की दोस्ती तथा द्वारिकाधीश होने के बाबजूद भी अपने दोस्त से पहले जैसी ही दोस्ती का निर्वहन करना।संसार को यह बताता है कि दोस्त के साथ छल कपट न करे।
हीरापुर गांव के हनुमान मंदिर पर सात दिवसीय श्री मद भागवत के सातवें दिन भागवताचार्या पं.शिवम द्विवेदी ने कृष्ण और सुदामा के चरित्र का बर्णन किया गया।कृष्ण और सुदामा की मित्रता का बर्णन करते हुये बताया कि दोनो एक ही गुरुकुल मे पढते थे।दोनो के बीच अच्छी मित्रता थी।एक दिन गुरु माता ने सुदामा और कृष्ण को जंगल से लकडी काटने को कहा।दोनो जगल मे लडकी काटने के लिये जाने गये तब गुरुमाता ने दोनो को दोपहर नाश्ता के लिये कुछ चने दिये।जंगल मे पहुचते ही तेज बारिस होने लगी और सुदामा कृष्ण एक पेड की ओट लेकर बैठ गये तभी सुदामा को तेज भूख लगी ओर उन्होने चने को चबाना शुरु कर दिया।मित्र के साथ कपट छल करके अपने मित्र का हिस्सा ले लेने से उन्हे दरिद्रता का सामना करना पडा।सुदामा की पत्नी सुशीला के बार बार कहने पर वह अपने मित्र से मिलने द्वारिका धाम गये।सुदामा द्वारा बचपन मे अपने मित्र के साथ छल किये जाने का अफसोस उन्हे हमेशा सताता रहता था।पत्नी के कहने पर जैसे ही वह द्वारिका पुरी पहुचे और कृष्ण को पता चला कि कोई वृद्ध तथा भिखारी अवस्था मे दरवाजे पर खडा होकर अपने को कृष्ण का सखा बता रहा है।तो वह दौडे दौडे नंगे पैर ही दौड पडे।इतना ही नही सुदामा की दशा को देख वह इतने रोये कि उन्होने अपने मित्र के पैर अपने.आसुओ से ही धो डाले।कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की आज भी लोग मिसायल देते है।।अंत मे आरती पारीक्षित श्याम करन श्रीवास्तव द्वारा की गयी।कथा मे उमड रही भीड को नियत्रित करने के लिये तमाम कार्यकर्ता आदि अपनीअपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निर्वहन कर रहे है।
जालौन से अनिल कुमार की रिपोर्ट।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know