पुरानी पेंशन की मांग को लेकर कुक्षी में हुआ विशाल सम्मेलन,  पीएम-सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा

35 से 40 वर्ष तक सेवा करने के उपरांत सेवानिवृत्त होने पर मिलने वाली पेंशन वृद्धावस्था पेंशन से भी कम

एनपीएस कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय, जीवन निर्वहन एवं परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल व नामुमकिन

कुक्षी। 

मप्र ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन द्वारा पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर जिले के अध्यापकों ने शंखनाद कर दिया है। मनावर, सरदारपुर, नालछा के बाद तहसील मुख्यालय कुक्षी पर अध्यापक संवर्ग से नए कैडर में आए शिक्षकों व पेंशन विहीन अन्य कर्मचारियों ने रविवार को शासकीय कन्या उमावि परिसर के सामने विशाल सम्मेलन आयोजित किया। इसके पश्चात प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार सुनील कुमार डावर को ज्ञापन सौंपा गया। एसोसिएशन के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश पाटीदार, कुक्षी तहसील अध्यक्ष शिवराम पाटीदार, ब्लॉक अध्यक्ष मंसाराम बघेल के नेतृत्व में विशाल सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें 600 से अधिक अध्यापक शामिल हुए। कार्यक्रम में प्रोजेक्टर के माध्यम से बड़ी स्क्रीन पर एनपीएस के नुकसान बताए गए।

अतिथि के रूप में एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी इरफान मंसूरी डही, प्रांतीय महासचिव सुरेश यादव इंदौर, शिरीन कुरैशी सरदारपुर, प्रांतीय संयुक्त सचिव अरुण कुशवाह डही, जिला अध्यक्ष शैलेष मालवीय धार, मनीष सावंत पीथमपुर, स्वरुपचंद मालवीया डही, सुनील दुबे अलीराजपुर, धर्मेन्द्र ठाकुर बाग, कैलाश बुंदेला, शोभाराम वास्केल, संतोष पाटीदार, शोभाराम निगम मनावर, तुलसीराम निगवाल उमरबन आदि उपस्थित थे।संचालन राजेंद्र खानविलकर ने किया।

कर्मचारियों की नई पेंशन वृद्धावस्था पेंशन से भी कम 

 एसोसिएशन के प्रांत व जिला स्तर के पदाधिकारियों ने उपस्थित अध्यापकों व कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने पुरानी पेंशन व्यवस्था को बंद कर नई पेंशन स्कीम एनपीएस को लागू किया है। इससे 1 अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त सभी विभागों में राज्य सरकार के लाखों कर्मचारी एवं अधिकारी प्रभावित हुए हैं। न्यू पेंशन स्कीम अंशदायी शेयर बाजार पर आधारित है। न्यू पेंशन स्कीम में सेवानिवृत्त होने वाले अध्यापकों को 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक पेंशन मिल रही है। जो कि वृद्धावस्था पेंशन से भी कम है। राज्य सरकार के कर्मचारी द्वारा शासन की 35 से 40 वर्ष तक सेवा करने के उपरांत सेवानिवृत्त होने पर पेंशन एक प्राइवेट कंपनी देगी। जिसका कोई भविष्य नहीं है। इस महंगाई के युग में जीवन निर्वहन एवं परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल व नामुमकिन है। यह राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय है। जबकि दूसरे तरफ कई अध्यापक 2005 के पूर्व से भी शासकीय विद्यालयों में अध्यापन कार्य करा रहे हैं। उन्हें भी पुरानी पेंशन योजना से बाहर रखा गया है यहां तक की 12 -13 वर्ष तक किसी भी योजना के अंतर्गत इनके प्रोविडेंट फंड के लिए कटौती नहीं की गई। यहां तक की मध्यप्रदेश में 2005 से एनपीएस लागू हुई है। लेकिन अध्यापकों को इसका लाभ 2011 से दिया गया है। 

यह भी थे उपस्थित, रहा सराहनीय सहयोग

कुक्षी महिला मोर्चा इकाई की अध्यक्ष नीता राठौड़, कल्पना शाह, मालती यादव, उर्मिला बघेल, नरेंद्र सिर्वी, मनोज साधु, मनोहर कन्नौज, उमेश एस्के, जितेंद्र भीड़े, जगदीश साल्वी,राहुल जामोद, सुनील मौर्य, जितेंद्र दुबे, मीरा डावर, रजनी अलंसे, गेलसिंह चौहान, सुरेंद्र गुुंजाल, कैलाश बघेल, शिवकरण राठौड़, बापू चौहान, खड़कसिंह जमरा, नारायण सिसोदिया, दरियावसिंह रावत, शिवराम रोडवा सहित बड़ी संख्या में अध्यापक व राजस्व, स्वास्थ्य, नगरीय विभाग के कर्मचारी उपस्थित थे। 

फोटो- कुक्षी में पुरानी पेंशन बहाली सम्मेलन को संबोधित करते एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश पाटीदार। मंचासीन अतिथि। 

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने