गिरजा शंकर गुप्ता
अंबेडकरनगर। कुत्तों से सावधान रहें। यदि काट लिया तो मुश्किल हो सकती है। जी हां कारण यह कि जिला अस्पताल से एंटी रैबीज वैक्सीन लगभग एक पखवारे से नदारद है। एंटी रैबीज वैक्सीन के लिए मरीज जिला अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं,प्रतिदिन दर्जनों मरीज निराश होकर वापस लौट रहे है लेकिन अस्पताल प्रबंधन के कानों पर जू तक नही रेगं रहा हैं जिला अस्पताल प्रबंधन कक्ष के बाहर नोटिस चस्पा कर अपनी जिम्मेदारी की इति श्री कर लिया हैं।
आपको बताते चले औरंग नगर निवासी भाजपा नेता देवीसरन जिला अस्पताल पहुंचे थे वैकसीन लगवाने उनको कुत्ते ने काट लिया था परंतु अस्पताल में इंजेक्शन उपलब्ध न होने की बात कही गई इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस समस्या को फौरन दूर करे। संवाददाता से कहा कि जिला अस्पताल में इंजेक्शन न होने का लाभ मेडिकल स्टोर संचालक उठा रहे हैं। जिससे मरीजों को आर्थिक संकटों को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं उन्होने इस समस्या को लेकर स्वस्थ मंत्री के पास पत्र भेजकर अवगत कराया।
यह समस्या बीते लगभग दो माह से चली आ रही है। हालांकि बीच-बीच में एंटी रैबीज वैक्सीन जिला अस्पताल को उपलब्ध जरूर हुआ, लेकिन वैकसीन कम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण शीघ्र ही समाप्त हो गयी। लगभग 20 दिन पूर्व अस्पताल को 25 वॉयल उपलब्ध हुए थे, लेकिन कुछ ही दिन बाद समाप्त हो गया। नतीजा यह है कि बीते लगभग एक पखवारे से इंजेक्शन के लिए पीड़ित अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, उन्हें निराश ही हाथ लग रही है।
कटेहरी के धनश्याम व शहजादपुर के वंशबहादुर ने नाराजगी वयक्त करते हुए कहा कि इंजेक्शन की उपलब्धता सुचारु रूप से सुनिश्चित हो सके, इसे लेकर जिम्मेदारों द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। नतीजा यह है कि...
इसका खामियाजा पीड़ितों को भुगतना पड़ता है।
कुर्कीबाजार से आई लल्लीदेवी व अरिया बाजार के अंश व टांडा की बबिता व टांडा के सुभाष ने कहा कि उनके भाई मनीराम को कुत्ते ने काटा था। यहां पता चला की
जिला अस्पताल में वैकसीन नही हैं जिसका खामियाजा हम पीड़ितों को भुगतना पड़ता है।
मेडिकल स्टोरों से अधिक दाम पर वैकसीन लेने के लिए पीडित मजबूर है।
मजे की बात यह हैकि एक मेडिकल स्टोर संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में इंजेक्शन की उपलब्धता के आधार पर रेट निर्धारित करते हैं। यदि अस्पताल में इंजेक्शन नहीं होता, तो इस पर अधिक दाम में बिक जाता है, अन्यथा जो प्रिंट रेट है, उसी पर बेचना पड़ता है।
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