अंबेडकरनगर। जिले के अकबरपुर से जौनपुर मुख्य मार्ग को नेशनल हाईवे का दर्जा मिलने के साथ ही जनपदवासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जौनपुर व बनारस जाने के लिए जिस मुख्य मार्ग का प्रयोग किया जाता है, उसका संपूर्ण जिम्मा अब नेशनल हाईवे खंड एक वाराणसी के हवाले है। पीडब्ल्यूडी के पास स्वामित्व न रह जाने की वजह से वह अकबरपुर से मालीपुर तक की जनपदीय सीमा में सड़क की मरम्मत कराने से वंचित हो गई है, तो वहीं एनएच अधिकारियों ने इस तरफ से ध्यान हटा लिया है। नतीजा यह है कि नेशनल हाईवे का दर्जा मिलने के बाद इस मार्ग पर गड्ढे होने से हिचकोले खाते हुए लोगोें को आवागमन करना पड़ रहा है। न सिर्फ जनपदवासी, वरन अन्य जनपदों के नागरिक भी इस मार्ग से गुजरते हैं, तो सरकार के गड्ढामुक्त अभियान पर बड़ा सवाल प्रतिदिन खड़ा होता रहता है।जिले में नेशनल हाईवे की तादाद बढ़ तो रही है, लेकिन उसके अनुरूप नागरिकों व यात्रियों को वह सुविधा नहीं मिल पा रही, जिसके लिए एनएच का मानक निर्धारित है। टांडा से होकर अकबरपुर होते हुए रायबरेली तक जाने वाला नेशनल हाईवे पहले से ही कदम दर कदम गड्ढे में तब्दील है, तो वहीं टांडा से होकर बसखारी होते हुए आजमगढ़ तक जाने वाले नेशनल हाईवे की बदहाली भी जनपदवासियों को परेशान कर रही।
इन दोनों प्रमुख मार्गों के निर्माण व रखरखाव में लापरवाही व मनमानी बरते जाने के बाद बीते दिनों एक और मार्ग नेशनल हाईवे में तब्दील हो गया। अंबेडकरनगर जिला मुख्यालय से मालीपुर होते हुए शाहगंज, जौनपुर एवं वाराणसी तक जाने वाले मुख्य मार्ग को बीते दिनों नेशनल हाईवे के अधीन कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि इस मार्ग की मरम्मत का जिम्मा लोक निर्माण विभाग से हटकर नेशनल हाईवे प्रशासन के पास चला गया।
जिले की सीमा में अकबरपुर से शुरू होकर मालीपुर के आगे सुरहुरपुर बाजार के निकट तक लगभग 25 किमी लंबा यह मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। जिला जेल से लेकर खजुरी बाजार के निकट लगभग 12 किमी की दूरी में तो मुख्य मार्ग का अस्तित्व ही जैसे समाप्त होने को है। मार्ग पर गड्ढे इतने ज्यादा हो गए हैं कि वाहनों का सुचारु ढंग से चल पाना संभव नहीं रह गया है।
कब्जे में लेकर लावारिस छोड़ी सड़क नेशनल हाईवे प्रशासन ने इस सड़क को अपने कब्जे में तो ले लिया, लेकिन उसकी मरम्मत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों ने इस पर नाराजगी जताई है। खजुरी निवासी रामकृपाल व सूरज ने कहा कि जब तक सड़क लोक निर्माण विभाग के पास थी, तब तक कहने-सुनने पर ठीकठाक मरम्मत हो जाया करती थी। अब हददर्जे तक सड़क के क्षतिग्रस्त होने के बाद भी सुध नहीं ली जा रही है। प्रमोद यादव व राकेश वर्मा का कहना था कि नेशनल हाईवे प्रशासन को सिर्फ सड़क को अपने अधीन करने की जल्दी थी। इसके बाद से उसने सड़क को लावारिस छोड़ दिया है। गड्ढे होने से इस सड़क से गुजरना आम नागरिकों के लिए कठिन हो गया है।
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