रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल की तरफ से पूर्व में हॉस्टलों में बगैर अनुमति प्रवेश करने वालों अंतेवासियों से पांच गुना जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया गया था। इसके अनुपालन में डीएसडब्ल्यू प्रो. केपी सिंह ने भी सभी हॉस्टलों के अधीक्षकों और वार्डेन को पत्र भेजकर ऐसे छात्रों को चिह्नित करते हुए उनके अभिभावकों को पत्र भेजने का निर्देश दिया गया। यह भी कहा गया कि ऐसे छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए परीक्षा प्रवेश पत्र निर्गत करने पर रोक, परीक्षा में शामिल होने पर पाबंदी लगाने, परीक्षा परिणाम, मार्कशीट और संबंधित विषय की डिग्री रोकने और छात्रावास आवंटन रद कर दिया जाए। तीन दिन में अधीक्षकों से कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की गई थी। इसके विरोध में छात्रों ने सोमवार को डीएसडब्ल्यू का घेराव कर दिया। वहीं, अनशनकारियों ने हॉस्टल को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन का पुरजोर विरोध किया। पूर्व उप मंत्री सत्यम सिंह सनी व सौरभ सिंह बंटी ने कहा विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार तुगलकी फरमान जारी कर रहा है। नीरज प्रताप सिंह व संदीप वर्मा डॉक्टर ने कहा कि नोटिस जारी करने के बाद इविवि प्रशासन मुकर जाता है। संदेह है कि इविवि प्रशासन विश्वविद्यालय चला रहे हैं अथवा कोई प्राइमरी स्कूल।
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में बिना प्रशासनिक अनुमति हॉस्टलों में रहने वाले अंतेवासियों की डिग्री रोकने और अनुशासनात्मक कार्रवाई के फैसले के विरोध में सोमवार को छात्रों ने डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर केपी सिंह को घेर लिया। कार्रवाई के विरोध में घंटों नारेबाजी के बाद जुटे छात्र पांच गुना जुर्माने के फरमान को भी वापस करने की मांग पर अड़ गए। काफी मशक्कत के बाद डीएसडब्ल्यू ने छात्रों को आश्वासन देकर वापस भेजा।
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