अंबेडकर नगर_छुट्टा और आवारा पशु बहुत समय से शहरी लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। इन दिनों इस समस्या ने गांवों में भी पैर पसार लिये हैं। छुट्टा जानवरों की समस्या किसी एक इलाके की नहीं है। जिन भी राज्य सरकारों ने अवैध स्लाटर हाउसों पर ताले डालने के लिए कदम उठाये, वहां आवारा और छुट्टा जानवरों की समस्या फसलों की तबाही का सबब बन गई।किसान जानवरों को हांक कर स्कूल, सरकारी दफ्तर और अस्पतालों के परिसरों में धकेल रहे हैं। उन्हें बस किसी तरह इन छुट्टा जानवरों से छुटकारा पाना है। किसान रात भर जगकर और दिनभर लाठी भांजकर गायों-सांड़ों को भगाने में लगे हुए हैं। कांजी हाउस तो ज्यादातर जगहों पर खत्म हो चुके हैं। गौशालाओं में न तो इंतजाम हैं और न पशु रखने की जगह। बेवाना क्षेत्र के विभिन्न चौराहों और तिराहों के साथ ही गलियों में बेखौफ टहल रहे आवारा मवेशियों को देख लोग रास्ता बदलकर चल रहे हैं। स्कूल व बाजार आते-जाते समय बच्चों व महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इन आवारा जानवरों के प्रकोप से बेवाना थाना भी नहीं बचा देखने पर यह दृश्य दिखाई पड़ा जैसे थाना गौशाला में परिवर्तित हो चुका है। यदि थोड़ी सी चूक हुई तो वे किसको सींग मार देंगे, कुछ नहीं कहा नहीं जा सकता है। ये मवेशी अब तक कई लोगों को घायल कर चुके हैं। कई लोगों की तो मौत भी हो चुकी है।

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