मथुरा || वृदांवन शाह जी मन्दिर में श्री ठाकुर जी के दर्शनों हेतु भक्त जिस विशाल कमरे में प्रवेश करते हैं वही ऋतुराज भवन है जिसे "बसंती कमरा" भी कहते हैं। मंदिर की एक विचित्र बात यह है कि बसंती कमरे के बाहर एवं खंभों के मध्य फर्श पर श्रीशाह कुंदनलाल (ललित-किशोरी) और शाह फुंदनलाल (ललित-माधुरी) के रंगीन चित्र मंदिर निर्माण के समय से ही पत्थर काटकर बने हुए हैं। बताते हैं कि परिवारजनों की यह इच्छा थी कि मंदिर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के साथ आई ब्रजधूलि (रज) उनके ऊपर पड़ती रहे, जिससे उनका उद्धार होता रहे।

विशेष रूप से वर्ष में दो बार (बसंत पंचमी और सावन तीज) के अवसर पर बसंती कमरे में ठाकुर जी के दर्शन मिलना बड़े ही सौभाग्य की बात है। बसंती कमरे की आभा ही निराली है। इसमें सुसज्जित विभिन्न रंगों वाले बेशकीमती झाड़-फानूस, स्वर्णमयी दीवार, विशाल गोलाकार छत पर चंदोवा जैसी पच्चीकारी, ऊपर चारों ओर से झांकती बारह विभिन्न मुद्राओं में मानवाकार रोमन शैली की सखियां कमरे की शोभा को चार चांद लगाती हैं।

बसंती कमरे के बीचों बीच फव्वारों के सामने स्वर्ण जडि़त सिंहासन पर ठाकुर जी के विग्रह का जब श्रद्धालु दर्शन करता है तब ठगा सा रह जाता है। बसंत पंचमी के अतिरिक्त श्रावण शुक्ल त्रयोदशी एवं चतुर्दशी को भी दो दिन के लिए बसंती कमरा खोला जाता है |

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