जहाँ डीजल-पेट्रोल न हो 
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प्रतिदिन 12 अरब लीटर पेट्रोल और  डीजल 27 अरब लीटर पी जाने वाले हमारे भारत देश में पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं. कई शहरों में, जैसे राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से ऊपर जा चुकी. इसे लेकर काफी बखेड़ा मचा हुआ है. सरकार लगातार तेल की कीमत घटाने पर चर्चा कर रही है. दूसरी ओर दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां पेट्रोल वाकई में पानी के मोल मिलता है. मैंने तय किया है कि जब तक भारत में डीजल-पेट्रोल की कीमतें कम नहीं होतीं तब तक मै दुनिया के उन देशों में डेरा डाल लेता हूँ. जहाँ कीमतें कम ही नहीं बल्कि जमीन पर औंधे मुंह पड़ी हुई  हों . 
हमारे फन्ने मास्टर का कहना माना जाये तो  दुनिया में सबसे सस्ता पेट्रोल वेनेजुएला में मिल रहा है. यहां पेट्रोल की कीमत 1.45 रुपये प्रति लीटर है. वहीं साल 2018 में इस देश में 67 पैसे में एक लीटर पेट्रोल बिक रहा था. लेकिन फन्ने बताते हैं  कि ये देश लगातार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मैंने पूछा -'तब यहां इतने महंगे ईंधन की कीमत इतनी कम क्यों ?'
फन्ने थोड़े अचकचाए ,फिर बोले -' दरअसल इस देश में धरती का सबसे बड़ा तेल भंडार है और अर्थव्यवस्था चरमराने के बावजूद यहां की सरकार ईंधन पर सब्सिडी देती है'
फन्ने वेनेजुएला की रामकहानी सुनाने में रम गए ,कहने लगे -' इसका एक अलग पहलू भी है. वेनेजुएला पर अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है. ऐसे में 95 फीसदी   से भी ज्यादा तेल के ही निर्यात से चलने वाला ये देश असहाय हो गया है. वो अपना तेल बाहर नहीं बेच पा रहा. इसका असर ये हुआ कि यहां के लोगों के पास तेल तो भरपूर है लेकिन उसके खरीददार नहीं हैं. इन्हीं प्रतिबंधों की वजह से वेनेजुएला की तेल पर टिकी इकॉनमी चरमरा चुकी है और तेल सस्ता होने के बाद भी किसी फायदे का नहीं है'फन्ने मिया की तफ्सील सुनने के बाद हमने वेनेजुएला जाने का इरादा  छोड़ दिया .
'और कहाँ  जा सकते हैं फन्ने ?'
'...आप ईरान जा सकते हैं '
'ईरान  ही क्यों ?'
' क्योंकि ईरान में 4.50 रुपये प्रति लीटर की दर से पेट्रोल मिल रहा है. ये प्रमुख तेल-उत्पादक देशों में शुमार है. हालांकि तब भी वेनेजुअला के मुकाबले यहां पेट्रोल की कीमत काफी ज्यादा मानी जा सकती है.
और कोई ठिकाना " हमने पूछा 
 हाँ ! कुवैत है , कुवैत में 25.26 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत है. मालूम हो कि कुवैत समेत लगभग सभी खाड़ी देश दुनिया के ऊर्जा स्रोत का केंद्र बने हुए हैं. यहां तेल के भंडार हैं, जिनके निर्यात के चलते ये देश काफी अमीर हैं. फन्ने ने अपने ज्ञान चक्षु खोले.
'इसके बाद नंबर आता है दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीकी देश अंगोला का. आप अंगोला चले जाइये ' फन्ने ने अपनी तरफ से सुझाव  दिया .. '.अटलांटिक सागर से लगा हुआ ये देश वैसे तो काफी छोटा है लेकिन अब ईंधन और सोने जैसी बहुमूल्य धातुओं के भंडार के कारण इसका नाम चर्चा में है. इस देश में एक लीटर पेट्रोल के लिए 17.82 रुपये देने होते हैं. आज चीन इस देश का सबसे बड़ा व्यापारिक सहभागी है और लगातार पेट्रोलियम खरीद रहा है. ये सभी देश दूसरे देशों को ईंधन बेचकर रईस हो चुके हैं और अपने देशवासियों को सब्सिडी पर सस्ता तेल देते हैं.' फन्ने एक सांस में सारा किस्सा सुना बैठे 
आपको पता ही है कि एशिया में सबसे महंगा पेट्रोल भारत में बिक रहा है. लेकिन भारत में पेट्रोल की कीमतों को लेकर हमारे प्रिय मोदी जी का विरोध करने वालों को नहीं मालूम कि  दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां पेट्रोल की कीमत और भी ज्यादा है. जैसे ग्लोबल पेट्रोल प्राइसेज के साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक सबसे महंगा पेट्रोल हांगकांग में था, जहां 163.50 रुपये लीटर पेट्रोल बिक रहा था. इसके बाद आइसलैंड का नंबर था, यहां पेट्रोल की कीमत 137.08 रुपये प्रति लीटर रही, जबकि बेहद अमीर देश मोनैको में तेल 135.66 रुपये लीटर बिकता रहा. 
मुझे याद आया कि कुछ दिनों पहले लोक सभा में एक प्रश्न के उत्तर में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था की ओएनजीसी ने पिछले तीन वर्षों में 230 मिलियन टन से अधिक तेल भंडार की खोज की है।भारत में तेल और गैस उद्योग 1889 से शुरू हुआ जब असम राज्य में डिगबोई शहर के पास देश में पहला तेल जमा किया गया था। 31 मार्च 2018 को, भारत ने कच्चे तेल भंडार का अनुमान 594.49 मिलियन टन  के भंडार का अनुमान लगाया था।आपको पता है कि अनुमान लगाने में कोई हमारी बराबरी नहीं कर सकता .
मोदी जी के आने के बाद भारत ने 2017-18 में 35.68 मीट्रिक टन कच्चे पेट्रोलियम का उत्पादन किया। 2016-18 में विश्व तेल उत्पादन में भारत का 0.92% हिस्सा था।भारत में पहला तेल भंडार 1889 में असम राज्य के डिगबोई शहर के पास खोजा गया,इसलिए मोदी जी अब असम में पेट्रोल दुसरे राज्यों के मक़बले कम दाम पर बिकवा रहे हैं  पेट्रोल के भंडारण में हम दुनिया के बहुत से देशों से बहुत पीछे हैं,कोई तेइसवें-चौबीसवें नंबर पर .लेकिन हम क्या करें ? हमारा नसीब ही खोटा है .
विसंगति देखिए की जहाँ पेट्रोल-डीजल है वहां राशन-पानी नहीं है और जहां राशन-पानी है वहां पेट्रोल नहीं है. हमारे किसानों को गेहूं,चने,दलहन,तिलहन की वजाय पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस की खेती करना चाहिए ,हमारी सरकार इस काम के लिए पूरी राज सहायता देने के बारे में सोच सकती है ,हमें लगता है की यदि बंगाल की जनता इस बार बंगाल में भाजपा को जितवा दे तो मुमकिन है की इस खुशी में मोदी जी पेट्रोल पर कुछ राजसहायता पर विचार कर सकते हैं .इस मामले में हमारे मोदी जी बड़े ही उदार हैं ,लेकिन इस देश के किसानो को फूटी आँख सुहाते  ही नहीं है.
देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस का इस्तेमाल सीमित करना ही होगा.यही वक्त की मांग है और सरकार की जरूरत भी ,हम जितना कम पेट्रोल-डीजल इस्तेमाल करेंगे ,हम उतने ही मालामाल हो सकते हैं. कम ईंधन का इस्तेमाल करने का मतलब ,मालामाल होना ही है . तो आइये डीजल-ेट्रोल और रसोई गैस का बहिष्कार   करें,इसकी  होली जलाएं,इसे अपने आप जलने दें .जब डीजल-पेट्रोल होगा ही  नहीं तो कौन इसके पीछे पागल,दीवाना होगा ? न रहे बांस और न बजे बांसुरी '
@ राकेश अचल

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