उतरौला(बलरामपुर)
गुरुवार 11 फरवरी की शाम विश्व यूनानी दिवस पर तहसील उतरौला अंतर्गत ग्राम चमरूपुर स्थित डॉक्टर जफर अखलाक खान के वेल केयर पॉलीक्लिनिक पर मसीहुल मुल्क हकीम अजमल खान की योमें पैदाइश को चिकित्सकों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। 
साथ ही चिकित्सा नैतिकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ फैयाज हाशमी एवं संचालन डॉ उस्मान खान ने किया।
डॉक्टर मोहम्मद इसहाक ने कुराने पाक की तिलावत कर कार्यक्रम का आगाज किया।
कार्यक्रम में अपना विचार रखते हुए लाइफ केयर हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर अहमद खान ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य देश में यूनानी चिकित्सा के सतत विकास में मसीहुल मुल्क हकीम अजमल खान के अद्भुत योगदान के लिए खिराज़े अकीदत पेश करना है। 
हकीम अजमल खान एक महान विद्वान, समाज सुधारक, प्रतिष्ठित चिकित्सक और स्वतंत्रता सेनानी थे। राष्ट्रीय यूनानी दिवस प्रतिवर्ष 11 फरवरी को मनाया जाता है, इसे यूनानी शोधकर्ता हकीम अजमल खान की यौमे पैदाइश के मौके पर मनाया जाता है।
डॉ फैयाज हाशमी ने युनानी चिकित्सा पद्धति पर रोशनी डालते हुए कहा कि
यह एक किस्म की पर्शियन-अरबी पारंपरिक औषधि पद्धति है। 
डॉ उस्मान खान ने कहा कि तेरहवीं शताब्दी मुगलकालीन भारत में इसके उपयोग की शुरुआत हुई।
इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई तथा मध्य एशिया में भी यूनानी चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति का आरंभ यूनान में हुआ था। भारत में इस चिकित्सा पद्धति की शुरुआत 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना के साथ हुई थी।
अंत में डॉक्टर जफर अखलाक खान ने कार्यक्रम को कामयाब बनाने के लिए सबका शुक्रिया अदा किया।

इस मौके पर डॉ तौकीर अहमद, डॉक्टर अमानतुल्लाह खान, डॉ अनवर पाशा, डॉ अंजुम, डॉ सैफ अहमद, डॉ आकिब, डॉ मुजीब समेत अन्य युनानी चिकित्सक मौजूद रहे।

असगर अली 
उतरौला 

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